Disease factor - Saturn (रोग का कारक शनि)
सौर-मंडल में नौ ग्रह विद्यमान हैं जो समस्त ब्रह्मांड, जीव एवं सभी क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं। प्रत्येक ग्रह की अपनी विशेषतायें हैं जिनमें शनि की भूमिका महत्वपूर्ण है। शनि को दुःख, अभाव का कारक ग्रह माना जाता है। जन्म समय में जो ग्रह बलवान हों उसके कारक तत्वों की वृद्धि होती है एवं निर्बल होने पर कमी होती है किंतु शनि के फल इनके विपरीत हैं। शनि निर्बल होने पर अधिक दुख देता है व बलवान होने पर दुख का नाश करता है। अतः शनि के दो रूप हैं। यह चिंतनशील गहराईयों में जाने वाला योगी, संन्यासी एवं खोज करने वाला ग्रह है। दूसरा जातक को दिवालिया कर भिखारी बना देता है। अतः या तो मानव का स्तर ऊंचा ले जाता है या नीचे गिरा देता है, शनि जातक को उसके पूर्व जन्म के कर्मों अनुसार इस जन्म में शुभ-अशुभ कर्म अनुसार फल भुगतने का समय नियत करता है। शनि सुधरने का पूर्ण अवसर देते हुए नहीं सुधरने पर कर्मानुसार दंड देता है। शनि देव को न्यायाधीश का पद प्राप्त है। शनि आयु कारक ग्रह है। शनि जिस भाव में बैठता है उस भाव की आयु की वृद्धि करता है एवं घटाता भी है। यदि शत्रु राशि या नीच का हो तो आयु घटती है...