नवरात्रि में अखंड ज्योति क्यों जलाते हैं, जानिए नियम, महत्व, और वर्जित कार्यों की संपूर्ण जानकारी।
शारदीय नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनायी जाती है। इसके अलावा शरद ऋतु का आगमन भी इसी समय होता है।
नवरात्रि में पहले दिन कलश स्थापना
करने के साथ ही अखंड ज्योति जलायी जाती है। मान्यता है कि अखंड ज्योति जलाने से घर
में सुख- समृद्धि बनी रहती है। दीप प्रकाश का द्योतक है और प्रकाश ज्ञान का। परमात्मा
से हमें संपूर्ण ज्ञान मिले इसीलिए ज्योति प्रज्वलन करने की परंपरा है। कोई भी पूजा
हो या किसी समारोह का शुभारंभ। समस्त शुभ कार्यों का आरंभ दीप प्रज्ज्वलन से होता है।
जिस प्रकार दीप की ज्योति हमेशा ऊपर की ओर उठी रहती है, उसी प्रकार मानव की वृत्ति
भी सदा ऊपर ही उठे, यही दीप प्रज्वलन का अर्थ है। अत: समस्त कल्याण की चाह रखने वाले
मनुष्य को दीप जलाते समय दीप मंत्र अवश्य पढ़ना चाहिए।
हिन्दू धर्म में नवरात्रि का
विशेष महत्व है। नवरात्रि का यह समय वह समय होता है जब 9 दिनों के लिए मां दुर्गा अपने
भक्तों के घरों में विराजित होती हैं। इस दौरान लोग विधि पूर्वक दो समय (सुबह और शाम
में) माता की पूजा अर्चना करते हैं जिससे प्रसन्न होने पर माता अपने भक्तों के जीवन
में आशीर्वाद हमेशा बनाए रखती हैं। नवरात्रि के इस पर्व के दौरान 9 दिनों में मां दुर्गा
के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है।
कब
से शुरू हो रही है शारदीय नवरात्रि?
शारदीय नवरात्रि अश्विन मास के
शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनायी जाती है। इसके अलावा शरद ऋतु का आगमन भी इसी
समय होता है इसलिए ही इस नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। इस वर्ष 07 अक्टूबर
से 15 अक्टूबर तक शरद नवरात्रि रहने वाली है।
इस दौरान किस दिन किस तिथि में
किस देवी की पूजा और अनुष्ठान किया जाना है, इसकी विस्तृत जानकारी हम आपको नीचे प्रदान
कर रहे हैं।
दिन
और वार नवरात्रि दिन तिथि पूजा-अनुष्ठान
7 अक्टूबर 2021 (गुरुवार) नवरात्रि
दिन 1 प्रतिपदा
माँ शैलपुत्री पूजाघटस्थापना
8 अक्टूबर 2021(शुक्रवार) नवरात्रि
दिन 2 द्वितीया
माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
9 अक्टूबर 2021 (शनिवार) नवरात्रि दिन 3
तृतीया माँ चंद्रघंटा पूजा
9 अक्टूबर 2021(शनिवार) नवरात्रि दिन 3 चतुर्थी
माँ कुष्मांडा पूजा
10 अक्टूबर 2021(रविवार) नवरात्रि
दिन 4
पंचमी माँ स्कंदमाता पूजा
11 अक्टूबर 2021(सोमवार) नवरात्रि दिन 5 षष्ठी माँ कात्यायनी
पूजा
12 अक्टूबर 2021(मंगलवार) नवरात्रि दिन 6 सप्तमी
माँ कालरात्रि पूजा
13 अक्टूबर 2021(बुधवार) नवरात्रि
दिन 7 अष्टमी माँ महागौरीदुर्गा महा अष्टमी पूजा
14 अक्टूबर 2021(गुरुवार) नवरात्रि
दिन 8 नवमी माँ सिद्धिदात्रीदुर्गा महा नवमी
पूजा
15 अक्टूबर 2021 (शुक्रवार) नवरात्रि दिन 9 दशमी नवरात्रि पारणादुर्गा विसर्जनविजय दशमी
नवरात्रि
की सांस्कृतिक परंपरा -
नवरात्रि के 9 दिनों में मां
दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि पूर्वक पूजा का विधान बताया गया है। नवरात्रि के पहले
दिन घरों में कलश स्थापित करके दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू किया जाता है। कलश स्थापित
करने के अनुष्ठान को घटस्थापना कहा जाता है। इस दौरान देश के कई शक्तिपीठों में मेलों
का भी आयोजन होता है। साथ ही भव्य झाकियाँ आदि भी नवरात्रि के दौरान निकाली जाती है।
इस दौरान बहुत से लोग अपने घरों में और मंदिरों में जागरण करते हैं। पौराणिक मान्यता
के अनुसार नवरात्रि के ही दौरान देवी शक्ति की कृपा से भगवान राम ने असुर रावण का वध
और लोगों को इस बात का सन्देश दिया था कि झूठ और असत्य चाहे कितना भी बलवान क्यों न
हो उसे सत्य के सामने हारना ही पड़ता है।
नवरात्रि
में अखंड ज्योति जलाने का महत्व -
नवरात्रि के 9 दिनों तक लगातार
अखंड ज्योति जलाने का विधान बताया गया है। इस दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए
कि गलती से भी अखंड ज्योति बुझे नहीं और न ही इसे कभी अकेला छोड़ा जाए। कहते हैं नवरात्रि
के दौरान अखंड ज्योति जलाने से देवी माँ प्रसन्न होती हैं और व्यक्ति को मनोवांछित
फल देती हैं। इसके अलावा इस बात का विशेष ध्यान रखें कि अखंड ज्योति हमेशा गाय के शुद्ध
घी से ही जलाएं। हालांकि यदि शुद्ध घी नहीं है तो आप तिल के तेल से भी अखंड ज्योति
जला सकते हैं। इसके अलावा मान्यता है कि अखंड ज्योति जलाने से घर में सुख, शांति और
समृद्धि बनी रहती है और साथ ही व्यक्ति के सभी मनोवांछित कार्य पूरे हो जाते हैं इसीलिए
नवरात्रि के पहले दिन व्रत और माता की पूजा का संकल्प लेकर अखंड दीप जलाया जाता है
और नवरात्रि के 9 दिनों तक नियम के अनुसार अखंड ज्योति को सरंक्षित करने का प्रावधान
होता है।
अखंड ज्योति माता की तस्वीर या
मूर्ति के दायें ओर रखा जाना चाहिए। हालांकि यदि आप तेल से अखंड ज्योत जला रहे हैं
तो उसे माता के बाईं ओर रख दें।
इसके अलावा क्योंकि ईशान कोण
यानी उत्तर पूर्व दिशा देवी देवताओं का स्थान माना जाता है इसीलिए अखंड ज्योति हमेशा
इसी दिशा में रखना शुभ होता है।
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि
अखंड ज्योति की बाती बार-बार न बदलें।
शरद
नवरात्रि पूजा विधि -
नवरात्रि के पहले दिन व्रत का
संकल्प लिया जाता है। इस दिन लोग अपने सामर्थ्य अनुसार 2, 3 या पूरे 9 दिन का उपवास
रखने का संकल्प लेते हैं। संकल्प लेने के बाद मिट्टी की वेदी में जौ बोया जाता है और
इस वेदी को कलश पर स्थापित किया जाता है। बता दें क्योंकि हिन्दू धर्म में किसी भी
मांगलिक काम से पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान बताया गया है और कलश को भगवान गणेश
का रूप माना जाता है इसलिए इस परंपरा का निर्वाह किया जाता है। कलश को गंगाजल से साफ
की गई जगह पर रख दें। इसके बाद देवी-देवताओं का आवाहन करें। कलश में सात तरह के अनाज,
कुछ सिक्के और मिट्टी भी रखकर कलश को पांच तरह के पत्तों से सजा लें। इस कलश पर कुल
देवी की तस्वीर स्थापित करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें इस दौरान अखंड ज्योति अवश्य
प्रज्वलित करें। अंत में देवी माँ की आरती गायें और प्रसाद को सभी लोगों में बाँट दें।
नवरात्रि
में दिन के अनुसार भोग -
पहले दिन माँ शैलपुत्री देवी
को देसी घी अवश्य अर्पित करें।
दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी देवी
को शक्कर, सफेद मिठाई, मिश्री और फल आदि अर्पित करें।
तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी को
दूध से बनी मिठाई और खीर का भोग लगायें।
चौथे दिन कुष्मांडा देवी को मालपुए
का भोग अवश्य अर्पित करें।
पांचवें दिन स्कंदमाता देवी को
केले का भोग अवश्य चढ़ाएं।
छठे दिन कात्यायनी माता को शहद
का भोग चढ़ाना शुभ माना जाता है।
सातवें दिन कालरात्रि माता को
गुड़ और गुड़ से बनी वस्तुओं का भोग बनाना शुभ रहता है।
आठवें दिन माँ महागौरी को नारियल
का भोग अवश्य लगायें।
नौवें दिन सिद्धिदात्री देवी
को अनार और तिल का भोग लगाना शुभ रहता है।
शरद
नवरात्रि महत्व -
हर व्यक्ति अपने जीवन में सफलता
प्राप्त करना चाहता है। इसके लिए बेहद आवश्यक है कि आप कड़ी मेहनत करें और आपके जीवन
पर देवी-देवताओं का आशीर्वाद रहे। कई बार कड़ी मेहनत के बावजूद लोग सफल नहीं हो पाते
हैं क्योंकि उनके जीवन में देवताओं का आशीर्वाद नहीं होता है। ऐसे में माँ दुर्गा की
प्रसन्नता और उनका आशीर्वाद हासिल करने के लिए नवरात्रि के इस पावन समय को सबसे उपयुक्त
माना गया है, क्योंकि इस दौरान माँ दुर्गा नौ दिनों के लिए पृथ्वी लोक में आती हैं।
नवरात्रि के दौरान जो कोई भी व्यक्ति व्रत-नियम पूर्वक पूजा पाठ, साफ़ सफाई, सात्विक
भोजन करना, क्रोध आदि न करना, इत्यादि बातों का ध्यान रखता है माँ दुर्गा उनसे अवश्य
प्रसन्न होती हैं और उनके जीवन पर सदैव अपना आशीर्वाद बनाये रखती हैं।
नवरात्रि
में बन रहे हैं शुभ योग -
नवरात्रि के इस पावन पर्व को
जो बात और भी ज्यादा ख़ास और महत्वपूर्ण बना रही है वो है इस दौरान बनने वाले कुछ बेहद
ही शुभ और फलदाई योग। आइये जान लेते हैं नवरात्रि के दौरान किस दिन कौन से योग बन रहे
हैं।
नवरात्रि के पहले दिन वैधृति
योग बन रहा है।
नवरात्रि के दूसरे दिन रवि योग
बन रहा है।
नवरात्रि के तीसरे दिन भी रवि
योग बन रहा है।
नवरात्रि के चौथे दिन सौभाग्य
और रवि योग का संयोग बन रहा है।
नवरात्रि के पांचवें दिन रवि
और सौभाग्य योग बन रहा है।
नवरात्रि के छठे दिन शोभन और
रवि योग का शुभ संयोग इस दिन के महत्व को और बढ़ा रहा है।
नवरात्रि के सातवें दिन सुकर्मा
योग बन रहा है।
नवरात्रि के आठवें दिन रवि योग
बन रहा है।
नवरात्रि के नौवें दिन रवि योग
बन रहा है।
शारदीय
नवरात्रि के अवसर पर क्या करें क्या न करें -
यदि आप नवरात्रि में उपवास नहीं
भी कर रहे हैं तो भी आपको संतुलित भोजन और सात्विक आहार ही करने की सलाह दी जाती है।
इस दौरान भूल से भी प्याज, लहसुन,
शराब, मांस-मछली का सेवन न करें।
नवरात्रि के नौ दिनों में भूलकर
भी कभी घर में लड़ाई, झगड़ा, कलह, कलेश इत्यादि न करें।
इस दौरान घर पर आये किसी भी महमान
का अनादर भी न करें।
महिलाओं, बच्चियों का विशेषतौर
पर सम्मान और उनसे प्रेम करें। जिस घर में महिलाओं का अनादर किया जाता है वहां न तो
माता रानी आती हैं और न ही ऐसे व्यक्तियों की पूजा माता स्वीकार करती हैं।
नवरात्रि में साफ़ सफाई का विशेष
ध्यान रखें।
इस दौरान काले कपड़े और चमड़े
की चीज़ें पहनने से भी बचें।
नवरात्रि भर दाढ़ी, बाल और नाखून
कटवाए नहीं।
नवरात्रि में यदि आपने माता को
अपने घर में आमंत्रित किया है तो दोनों समय नहाकर माता की पूजा करें।
मुमकिन हो तो नवरात्रि में कभी
भी घर को अकेला न छोड़ कर जायें। अर्थात घर में ताला न लगायें।
इस दौरान भजन-कीर्तन, जगराता
आदि करना भी आपको माता की प्रसन्नता और आशीर्वाद दिला सकता है।
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