धनतेरस पर त्रिपुष्कर योग के साथ तीन ग्रहों की युति का बन रहा शुभ संयोग, जानिए खरीदारी का शुभ मुहूर्त
धनतेरस
का त्योहार 2 नवंबर, मंगलवार को मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के समय
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत से भरा कलश लेकर
प्रकट हुए थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान धन्वंतरि विष्णु के अंशावतार माने
जाते हैं। दीपावली से पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। कार्तिक मास के पंच पर्व
की शुरुआत धनतेरस के साथ ही होती है। फ्यूचर पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण
पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है। इस साल धनतेरस 2 नवंबर 2021, दिन मंगलवार
को पड़ रहा है। इस दिन लोग बर्तन और सोना-चांदी से बनी चीजें खरीदते हैं। जिसकी दीपावली
वाले दिन पूजा की जाती है। इस दिन इन सामान की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। धार्मिक
मान्यताओं के अनुसार भगवान धन्वंतरि विष्णु के अंशावतार माने जाते हैं। संसार में चिकित्सा
विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने ये अवतार लिया था। भगवान धन्वंतरि
के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।
त्रिपुष्कर
योग का शुभ संयोग-
धनतेरस
के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, त्रिपुष्कर योग में जो
भी कार्य किए जाते हैं, उसका तिगुना फल मिलता है। कहते हैं कि इस दिन कोई भी बुरा काम
करने से बचना चाहिए। धनतेरस के दिन सोना-चांदी खरीदना बेहद शुभ माना जाता है।
धनतेरस
की पूजा विधि :
सबसे
पहले एक लाल रंग का आसन बिछाएं और इसके बीचों बीच मुट्ठी भर अनाज रखें। अनाज के ऊपर
स्वर्ण चांदी, तांबे या मिट्टी का कलश रखें। इस कलश में तीन चौथाई पानी भरें और थोड़ा
गंगाजल मिलाएं। अब कलश में सुपारी, फूल, सिक्का और अक्षत डालें, इसके बाद इसमें आम
के पांच पत्ते लगाएं। अब पत्तों के ऊपर धान से भरा हुआ किसी धातु का बर्तन रखें। धान
पर हल्दी से कमल का फूल बनाएं और उसके ऊपर मां लक्ष्मी की प्रतिमा रखें। साथ ही कुछ
सिक्के भी रखें। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और यमराज
की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन धन्वंतरि की पूजा करने से आरोग्य
और दीर्घायु प्राप्त होती है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा को धूप और दीपक दिखाएं।
साथ ही फूल अर्पित कर सच्चे मन से आवाहन और पूजा करें।
सत्यं
च येन निरतं रोगं विधूतं,अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं
निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।
इसके
बाद चावल और आचमन के लिए जल चढाएं। इसके बाद सभी को गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली,
आदि लगाएं। साथ ही चांदी या फिर किसी भी तरह के बर्तन में खीर का भोग लगाएं। भोग के
बाद फिर आचमन करें। फिर उनके मुख की शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं। भगवान
धन्वंतरि को वस्त्र अर्पित करें। साथ ही शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां
भी भगवान धन्वंतरि को अर्पित करें। इसके बाद रोग नाश की कामना के लिए इस मंत्र का जाप
करें- ऊं रं रूद्र रोग नाशाय धनवंतर्ये फट्।। इसके बाद भगवान धन्वंतरि को दक्षिणा और
श्रीफल चढ़ाएं। और सबसे बाद में भगवान की कपूर से आरती करें।
धनतेरस
पर सोने-चांदी की खरीदारी -
सोना
भगवान धन्वंतरी और कुबेर की धातु मानी जाती है। इसे खरीदने और घर में रखने से आरोग्य,
सौभाग्य और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। इसलिए धनतेरस के दिन इसकी खरीदारी करने
की परंपरा है। चांदी चंद्रमा की धातु है। जो चंद्रमा की तरह ही शीतलता और ठंडक प्रदान
करती है। जिससे मन में संतोष रुपी धन का वास होता है। इस दिन चांदी खरीदने से घर में
यश, ऐश्वर्य और संपदा में वृद्धि होती है।
घर
की चौखट पर जलाएं दीये -
धनतेरस
पर शुभ मुहूर्त में ही सोना खरीदने से लेकर पूजा करने की मान्यता है। आज के दिन भगवान
धन्वंतरि की भी पूजा होती है। इसके अलावा मान्यता है कि आज के दिन घर की चौखट के दोनों
ओर दीये जलाना चाहिए। इससे दरिद्रता दूर होती है और लक्ष्मी का मार्ग प्रशस्त होता
है।
धनतेरस
पर कुबेर की इन मन्त्रों से होती है पूजा -
कुबेर
मंत्र को दक्षिण की ओर मुख करके ही सिद्ध किया जाता है।
अति
दुर्लभ कुबेर मंत्र इस प्रकार है मंत्र- ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं
वित्तेश्वराय: नम:।
विनियोग-
अस्य श्री कुबेर मंत्रस्य विश्वामित्र ऋषि:वृहती छन्द: शिवमित्र धनेश्वरो देवता समाभीष्टसिद्धयर्थे
जपे विनियोग:
मनुजवाह्य
विमानवरस्थितं गुरूडरत्नानिभं निधिनाकम्।
शिव
संख युक्तादिवि भूषित वरगदे दध गतं भजतांदलम्।।
अष्टाक्षर
मंत्र- ॐ वैश्रवणाय स्वाहा:
पंच
त्रिंशदक्षर मंत्र- ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये धनधान्या समृद्धि देहि
मे दापय दापय स्वाहा।
धनतेरस
की पौराणिक कथा और इतिहास -
धनतेरस
से जुड़ी कथा है कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन देवताओं के कार्य में बाधा डालने
के कारण भगवान विष्णु ने असुरों के गुरु शुक्राचार्य की एक आंख फोड़ दी थी। कथा के
अनुसार, देवताओं को राजा बलि के भय से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार
लिया और राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंच गए। शुक्राचार्य ने वामन रूप में भी भगवान
विष्णु को पहचान लिया और राजा बलि से आग्रह किया कि वामन कुछ भी मांगे उन्हें इंकार
कर देना। वामन साक्षात भगवान विष्णु हैं जो देवताओं की सहायता के लिए तुमसे सब कुछ
छीनने आए हैं। बलि ने शुक्राचार्य की बात नहीं मानी। वामन भगवान द्वारा मांगी गई तीन
पग भूमि, दान करने के लिए कमंडल से जल लेकर संकल्प लेने लगे। बलि को दान करने से रोकने
के लिए शुक्राचार्य राजा बलि के कमंडल में लघु रूप धारण करके प्रवेश कर गए। इससे कमंडल
से जल निकलने का मार्ग बंद हो गया। वामन भगवान शुक्रचार्य की चाल को समझ गए। भगवान
वामन ने अपने हाथ में रखे हुए कुशा को कमण्डल में ऐसे रखा कि शुक्राचार्य की एक आंख
फूट गई। शुक्राचार्य छटपटाकर कमण्डल से निकल आए।
धनतेरस
पर दान का महत्व -
पिले
वस्त्र -
धनतेरस
के दिन पीले रंग के कपड़ो का दान करना चाहिए। ज्योतिषों के मुताबिक मान्यता है कि धनतरेस
के दिन पीले रंग के कपड़े दान करने से घर में लक्ष्मी आती है। इस दिन पीले वस्त्रों
के दान को महादान कहा जाता है।
गरीबों
को करें अन्नदान -
धनतेरस
के दिन अन्न का दान करना सबसे बड़ा दान माना जाता है। इस दिन अपने घर पर किसी गरीब
भूखे व्यक्ति को घर पर खाना खिलाएं। ऐसा करने से आपके ऊपर माता लक्ष्मी की कृपा बनी
रहेगी। इस दिन खीर बनाकर खिलानी चाहिए। अगर आप खीर नहीं बना सकते तो अनाज का दान करें।
अनाज के साथ दक्षिणा के रूप में पैसे देकर विदा करें।
झाड़ू
का दान -
धनतेरस
के दिन घर में झाड़ू की पूजा होती है, इसके साथ अगर आप आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं
तो उन्हें झाड़ू का दान कर सकते हैं। झाड़ू का दान करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती
हैं। ध्यान देने वाली बात है कि झाड़ू का दान अपने करीबी रिश्तेदार को ही करें। अगर
आपने किसी अन्य व्यक्ति को किया तो नुकसान हो सकता है। इसके अलावा आप मंदिर में भी
झाड़ू का दान कर सकते हैं।
मिठाई
का दान -
धनतेरस
के दिन मिठाई और नारियल का दान करना चाहिए। मिठाई और नारियल का दान करने से घर में
कभी आर्थिक तंगी का सामान नहीं करना पड़ता, और मां लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है।
लोहे
की वस्तु का दान -
धनतेरस
के शुभ दिन लोहे की वस्तु का दान करने से दुर्भाग्य मिट जाता है, और शुभ फलों की प्राप्ति
होती है। लोहे को शनिदेव का धातु भी माना जाता है, लोहे का दान करने से भगवान शनिदेव
का आशीर्वाद बना रहता है, साथ ही माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि
बनी रहती है।
धनतेरस
पर कतई न भूलें इन चीजों को खरीदना -
धनतेरस
पर झाड़ू खरीदने की प्रथा है ऐसा माना जाता है झाड़ू मां लक्ष्मी को बहुत ही प्रिय
होती है। इसके अलावा धनतेरस पर सोना,चांदी, पीतल, स्टील से बनी चीजें खरीदें। यह शुभता
का प्रतीक हैं।
अपनी
राशि के अनुसार धनतेरस की खरीदारी -
मेष
राशि :- ताम्र पात्र, फूल के पात्र, स्वर्ण आभूषण, स्वर्ण के सिक्के
वृष
राशि :- चांदी के सिक्के, बर्तन व आभूषण, हीरे की अंगूठी या जेवर, इलेक्ट्रॉनिक सामान,
वस्त्र, वाहन
मिथुन
राशि :- वस्त्र, चांदी के सिक्के और आभूषण, हीरे के आभूषण, चांदी के पात्र और वाहन
कर्क
राशि :- स्वर्ण आभूषण, ताम्बे के बर्तन, सोने के सिक्के, चांदी के सिक्के और आभूषण
सिंह
राशि :- स्वर्ण के सिक्के, आभूषण, ताम्र और फूल के पात्र, धार्मिक पुस्तक और कलम
कन्या
राशि :- हरे या नीले रंग का वस्त्र, चांदी के सिक्के, हीरा, वाहन तथा चांदी के पात्र
तुला
राशि :- वाहन, चांदी तथा हीरे के सामान, वस्त्र और स्टील के बर्तन
वृश्चिक
राशि :- ताम्बे के पात्र, पूजा सामान, स्वर्ण आभूषण, धार्मिक पुस्तक, फूल के पात्र,
धनु
राशि :- धार्मिक पुस्तक, स्वर्ण के सिक्के और आभूषण, फूल के पात्र, वाहन
मकर
राशि :- लोहे के सामान, इलेक्ट्रॉनिक सामान, वाहन, चांदी के सिक्के, चांदी और हीरे
के आभूषण
कुंभ
राशि :- लोहे के सामान, इलेक्ट्रानिक सामान, स्टील के बर्तन,चांदी और हीरे के आभूषण
मीन
राशि :- धार्मिक पुस्तक, सोने के आभूषण व सिक्के, ताम्बे और फूल के पात्र, वाहन, जमीन
या मकान
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