Hora Kundali: धन संपत्ति की जानकारी देती है होरा कुंडली, इसके बिना अधूरा है फलकथन
वैदिक ज्योतिष में सप्तवर्गीय और षोडशवर्गीय कुंडली का वर्णन मिलता है। इनके आधार पर किसी जातक के भूत, भविष्य और वर्तमान की परतें खोली जाती हैं। इनमें होरा कुंडली का सर्वाधिक महत्व होता है। होरा कुंडली का अध्ययन किए बिना जातक के संपूर्ण जीवन का फलादेश अधूरा रहता है। होरा कुंडली से जातक को जीवन में मिलने धन, सुख, वैभव, संपत्ति, भौतिक सुख-सुविधाओं आदि का अध्ययन किया जाता है। आइए जानते हैं क्या होती है होरा कुंडली और कैसे इससे धन-संपत्ति का पता लगाया जाता है।
क्या होती है होरा कुंडली-
ज्योतिष की समझ रखने वाले यह
भलीभांति जानते हैं कि एक राशि का मान 30 अंश होता है और एक राशि में 15-15 अंश की
दो होरा होती हैं। लग्न, चंद्र या अन्य कुंडलियों में 12 घर होते हैं लेकिन होरा कुंडली
में मात्र दो ही घर होते हैं और इनमें सूर्य और चंद्र की होरा होती है। अर्थात् सिंह
और कर्क लग्न होता है। होरा कुंडली का निर्माण जातक की लग्न कुंडली के आधार पर किया
जाता है।
होरा
कुंडली बनाने का नियम-
यदि लग्न में सम राशि हो और लग्न
का मान 0 से 15 अंश तक हो तो होरा लग्न चंद्र का होगा
यदि लग्न में सम राशि हो और लग्न
का मान 16 से 30 अंश तक हो तो होरा लग्न सूर्य का होगा
यदि लग्न में विषम राशि हो और
लग्न का मान 0 से 15 अंश तक हो तो होरा लग्न सूर्य का होगा
यदि लग्न में विषम राशि हो और
लग्न का मान 16 से 30 अंश तक हो तो होरा लग्न चंद्र का होगा
इस प्रकार सम राशि में प्रथम
होरा चंद्र की और दूसरी सूर्य की होती है। जबकि विषम राशि में प्रथम होरा सूर्य की
और दूसरी चंद्र की होती है। होरा लग्न का निर्धारण हो जाने के बाद सभी ग्रहों को भी
इसी प्रकार उनके राशि, अंश, कला, विकला देखकर सूर्य या चंद्र के खाने में स्थापित कर
लेते हैं।
विषम
राशि : 1-मेष, 3-मिथुन, 5-सिंह, 7-तुला, 9-धनु, 11-कुंभ
सम
राशि : 2-वृषभ, 4-कर्क, 6-कन्या, 8-वृश्चिक, 10- मकर, 12-मीन
होरा
लग्न देखने के सामान्य नियम
होरा कुंडली में यदि कर्क राशि
में सभी शुभ ग्रह स्थित हों तो जातक धनवान, सुखी और अनेक प्रकार से संपत्ति बनाने वाला
होता है।
यदि कर्क राशि की होरा में सभी
अशुभ, पाप या क्रूर ग्रह आ जाएं तो जातक अपनी ही अर्जित संपत्ति का नुकसान कर बैठता
है। अपनी गलत आदतों के कारण पैतृक संपत्ति भी गंवा देता है। मानसिक तनाव बहुत होता
है।
यदि सूर्य की होरा में सभी अशुभ
ग्रह आ जाएं तो जातक साहसी, धनवान, संपत्तिवान और पराक्रमी होता है।
यदि सूर्य की होरा में सभी शुभ
ग्रह आ जाएं तो धन प्राप्त करने में अत्यंत परिश्रम करना पड़ता है। पारिवारिक सुख भी
कम मिलता है। आर्थिक जीवन सामान्य होता है।
यदि सूर्य और चंद्र की होरा में
शुभ और अशुभ ग्रह दोनों बराबरी से हों तो जातक को मिश्रित परिणाम मिलता है।
सूर्य की होरा में शुभ और अशुभ
दोनों प्रकार के ग्रह होने पर जातक का शुरुआती जीवन संघर्षमय होता है बाद में खूब धन
अर्जित करता है।
सूर्य की होरा में पाप ग्रहों
का होना शुभ फल देता है, क्योंकि सूर्य स्वयं एक क्रूर ग्रह है तो क्रूर ग्रह की होरा
में क्रूर ग्रह शुभ फल देते हैं। चंद्र एक सौम्य ग्रह है इसलिए सौम्य ग्रह की होरा
में सौम्य ग्रह शुभ फल देते हैं।
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