चंद्रग्रहण का गर्भवती महिलाओं पर विशेष असर जानें धार्मिक और ज्योतिषीय कारण

 

  




चंद्रग्रहण के दौरान दो बातों पर विशेष ध्यान रखना पड़ता है। एक तो इस अवधि में पके हुए भोजन में तुलसी के पत्ते डालना, दूसरा गर्भवती महिलांओं का। चंद्रग्रहण गर्भवती महिलाओं के लिए ज्यादा नकारात्मक इस लिए हो जाता है क्योंकि चन्द्रमा को माँ का, पोषण का, भोजन का, दूध का, पानी का कारक माना गया है। ऐसे में यदि चन्द्रमा नकारात्मक प्रभाव में है तो उसके सभी कारकतत्व को भी नकारात्मक रूप से यह ग्रहण प्रभावित करेगा।  यही वजह है कि चंद्रग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को ज्यादा सावधानी और सतर्कता बरतने कि सलाह दी जाती है।

चंद्रग्रहण शुक्रवार, 19 नवंबर 2021 को पड़ेगा, जो एक आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस चंद्रग्रहण का समय दोपहर 11:32 बजे से, रात्रि 17:33 बजे तक होगा।

चंद्रग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं रखें इन बातों का विशेष ध्यान -

चंद्र ग्रहण के दौरान घर से बाहर ना निकलने की सलाह दी जाती है। विशेष तौर पर गर्भवती महिलाओं को। माना जाता है कि बाहर निकलने से बच्चे के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि, जो भी गर्भवती महिलाएं चंद्र ग्रहण की रौशनी के संपर्क में आती है उनके गर्भ में पल रहे बच्चे के शरीर पर लाल धब्बे या किसी प्रकार का निशान मौजूद सकता है जो जीवन काल तक उसके साथ बना रहता है।

चंद्र ग्रहण की पूरी अवधि के दौरान गर्भवती महिलाएं किसी भी नुकीली या धारधार वस्तुओं का उपयोग करने से बचें। ग्रहण और सूतक काल के दौरान कोई भी कैंची, चाकू या सुई का इस्तेमाल ना करें।

ग्रहण काल के दौरान कुछ भी ना खाएं और ना ही पियें, चंद्रमा भोजन का भी कारक है इसलिए ग्रहण के दौरान इसमें अशुद्धियां भी मिल जाती हैं। यही वजह है की सलाह दी जाती है कि गर्भवती महिलाएं ग्रहण के दौरान न ही कोई भोजन ग्रहण करें और ना ही पानी पिए क्योंकि इससे बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। भोजन में अशुद्धियां ना पहुंचे इसके लिए आप एक छोटा उपाय यह कर सकते हैं कि पके हुए भोजन में आप तुलसी के कुछ पत्ते डालकर रख दें।

चंद्र ग्रहण की किरणों को भी हानिकारक माना गया है। ऐसे में इनके संपर्क में न आने की सलाह दी जाती है। ग्रहण की किरणों से बचने के लिए खिड़कियों और दरवाजों पर मोटे पर्दे लगा दें, या फिर अखबारों और गत्तों से इन्हें ढक दें ताकि ग्रहण की किरणें किसी भी सूरत में आपके घर में प्रवेश ना कर सकें।

चंद्रग्रहण एक बार खत्म हो जाए तो इसके बाद गर्भवती महिलाओं को पानी में सेंधा नमक डालकर उससे स्नान करने की सलाह दी जाती है। माना जाता है कि ऐसा करने से ग्रहण के सभी नकारात्मक प्रभाव नष्ट किए जा सकते हैं।

चंद्र ग्रहण की पूरी अवधि के दौरान गर्भवती महिलाएं अपनी जीभ के ऊपर तुलसी का एक पत्ता रख लें और हनुमान चालीसा और दुर्गा चालीसा का जाप करें। ऐसा करने से चंद्र ग्रहण के दुष्प्रभाव बच्चे पर नहीं पड़ते हैं और ग्रहण से बच्चे की रक्षा होती है।

सनातन धर्म में और वैदिक संस्कृति में दान का विशेष प्रभाव माना जाता है इसीलिए चंद्र ग्रहण के बाद दूध और दूध से बने उत्पादों, सफेद तिल, सफेद कपड़े, इत्यादि का दान करने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से भी ग्रहण के दुष्प्रभाव जीवन पर नहीं पड़ते हैं।

चंद्रग्रहण में सावधानियां -

ग्रहण के दौरान कोई भी नया काम शुरु न करें।

चंद्रग्रहण के शुरु होने से पहले खाने की सामग्री में तुलसी के पत्ते डालें। और तुलसी के पेड़ को ग्रहण के दौरान न छुएं।

चंद्रग्रहण के दौरान आपको धार्मिक और प्रेरणादायक पुस्तकों को पढ़ना चाहिए, इनको पढ़ने से आपके अंदर से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाएगी। इसके साथ ही मंत्रों के जाप करने से भी ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सकता है।

ग्रहण के दौरान खाना न बनाएं और खाना खाने से भी बचें। खाना बनाना और खाना दोनों को ही ग्रहण के दौरान शुभ नहीं माना जाता है।

ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को तेज धारदार औजारों जैसे चाकू, कैंची और छुरी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, इससे शीशु के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।

इस समया देवी देवताओं की मूर्ति और तस्वीरों को भी नहीं छूना चाहिए।

ग्रहण के दौरान दांतून करने, बालों पर कंघी लगाने और मलमूत्र का त्याग करने से भी बचना चाहिए।

ग्रहण की समाप्ति के बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए।

ग्रहण समाप्ति के बाद यदि आप जरुरतमंदों को जरुरी चीजें दान करते हैं तो इससे आपको अच्छे फलों की प्राप्ति होती है।

ग्रहण के दौरान “ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात्’’ मंत्र का जाप करें।

चंद्रदेव की पूजा करें और ध्यान लगाने की कोशिश करें।

विशेष उपाय -

सूतक काल की समाप्ति तक ध्यान, भजन, भगवान की आराधना, आदि कार्यों से मन को सकारात्मक बनाएँ रखें।

इस दौरान चंद्र ग्रह से संबंधित मंत्रों और राहु-केतु की शांति हेतु उनके बीज मंत्र का उच्चारण करें।

चंद्रग्रहण के खत्म होने के तुरंत बाद स्नान कर घर में गंगाजल का छिड़काव कर उसका शुद्धिकरण करें।

भगवान की मूर्तियों को भी स्नान कर शुद्ध करें।

ग्रहण के सूतक काल से उसकी समाप्ति तक ब्रह्मचर्य का पालन करें।

यदि आपकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव ग्रहण के दौरान चल रहा हो तो, आपके लिए सूतक काल की समाप्ति तक शनि मंत्र का जाप करना चाहिए। 

ग्रहण के दौरान श्री हनुमान चालीसा का पाठ करना शुभ रहेगा।

मांगलिक दोष से पीड़ित जातकों को ग्रहण के दिन सुंदरकांड का पाठ करना उचित रहता है।

चंद्रग्रहण की समाप्ति के बाद आटा, चावल, चीनी, श्वेत वस्त्र, साबुत उड़द की दाल, काला तिल, तेल, काले वस्त्र आदि, किसी ज़रूरतमंद को ज़रूर दान करने चाहिए।

अपने ऊपर से चंद्र ग्रहण का अशुभ फल शून्य करने के लिए सूतक काल के दौरान नवग्रह, गायत्री एवं महामृत्युंजय आदि जैसे शुभ मंत्रों का जाप करें।

सूतक काल के दौरान दुर्गा चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम, श्रीमदभागवत गीता, गजेंद्र मोक्ष आदि का पाठ करना चाहिए।

ग्रहण वाले दिन सूतक काल की समाप्ति तक गर्भवती स्त्रियों का घर के अंदर ही रहना उचित होता है, अन्यथा माना जाता है कि उनके ऊपर ग्रहण के दुष्प्रभावों का सबसे ज्यादा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जिससे उनके होने वाले बच्चे को क्षति पहुँच सकती है।

चंद्र ग्रहण के दौरान इन मंत्रों का करें जप- चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ मंत्रों का जाप करना भी गर्भवती महिलाओं और गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए शुभ साबित हो सकता है।

   ‘‘तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन

     हेमताराप्रदानेन मम शांतिप्रदो भव ॥’’

   ‘‘विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत

    दानेनानेन नागास्य रक्ष मां वेधजादभयात॥’’

इसके अलावा शिव मंत्र और संतान गोपाल मंत्र का जप करने से भी गर्भवती महिलाओं के मन को शांति मिलेगी और उनके गर्भ में पल रहे संतान की रक्षा होगी।

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