कोरोना वायरस व ज्योतिषीय मंथन

 

 


हजारों वर्षों का इतिहास साक्षी है कि एक से बढ़कर एक समस्याएं आई लेकिन कोरोना वायरस जैसी इस अकल्पनीय समस्या के सामने सब बौनी दिखाई देती हैं, ज्योतिष के अनुसार सौरमंडल में स्थित नव ग्रहों का पृथ्वी और पृथ्वी के निवासियों पर शुभ और अशुभ प्रभाव देखने को मिलता है,  ग्रह जब भी स्थितिवशात योगों और दुर्योगों का निर्माण करते हैं, तो इस सम्पूर्ण चराचर जगत को प्रभावित करते हैं, ऐसी ही घटना फिर से दौराही जा रही है, ऐसा ही एक दुर्योग दो बार पहले भी घटित हुआ। पहला 26 दिसंबर 2019 को अमावस्या के दिन बना था इस दिन भी छः ग्रहों की युति एक साथ हुई थी, और इसका बुरा प्रभाव भारत सहित सम्पूर्ण विश्व पर कोरोना महामारी के रूप में पड़ा, और दूसरी बार यह योग 11 फरवरी 2021 अमावस्या के दिन छः ग्रहों ने मकर राशि में युति बनाई। इसका बुरा प्रभाव भारत सहित सम्पूर्ण विश्व को झेलना पड़ा। 

ग्रहों का यही महासंगठन 05 दिसंबर 2021 को अमावस्या के दिन एक बार फिर से होने वाला है, जब हम अभी पूरी तरह इस महामारी से निकले भी नहीं हैं, कि फिर से वही ग्रह योग बन रहा है, इन ग्रहों का महासंयोग ब्रह्माण्ड के प्रत्येक जीव को प्रभावित करेगा, इस पंचग्रही योग में सूर्य चन्द्रमा बुध मंगल व केतु की युति हो रही है। ग्रहों की यह युति कई योगों दुर्योगों का निर्माण करेगी। जैसे- बुधादित्य योग, अमावस्या दोष, अंगारक दोष और कालसर्प दोष इन योगों दुर्योगों का प्रभाव प्रत्येक जनमानस पर देखने को मिलेगा ।

इस पंचग्रही योग का शुभ प्रभाव कम रहेगा, क्योंकि इस युति में सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध और केतु सभी पापी ग्रह हैं। एक विशेष स्थिति इस दौरान सभी ग्रह राहु और केतु के मध्य होने के कारण कालसर्प दोष का निर्माण हो रहा है, और यह कालसर्प दोष की स्थिति 24 अप्रैल 2022 तक रहेगी। केवल इस अवधि में चन्द्रमा ही एक मात्र ऐसा ग्रह होगा जो प्रत्येक महीने कृष्णपक्ष के 15 दिन कालसर्प दोष में और शुक्लपक्ष के 15 दिन कालसर्प दोष से मुक्त रहेगा।  05 दिसंबर 2021 से 24 अप्रैल 2022 तक का समय अच्छा नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इस दौरान सभी ग्रह राहु केतु के पाप प्रभाव में रहेंगे। और बड़ी बात यह है कि भारत की कुंडली में भी कालसर्प दोष है। 

यह पंचग्रही योग वृश्चिक राशि में बन रहा है, वृश्चिक राशि रहस्यात्मक राशि है, तानाशाह प्रवृति की राशि है, इस दौरान कोई गुप्त षड्यंत्रकारी गतिविधियां उत्पन्न हो सकती हैं, वृश्चिक राशि में पंचग्रहों का योग और राहु की इन पर दृष्टि वातावरण को भययुक्त बना रही है। इस योग के कारण अप्राकृतिक घटनाएं, शासकों में परस्पर मतांतर, विरोधाभास के साथ ही एक दूसरे के प्रति अविश्वास बढ़ेगा। तथा कोरोना वायरस भी इस दौरान फिर से अपने पांव पसार सकता है। इसलिए एक बार फिर से सतर्क हो जाने की आवश्यकता है यह पंचग्रही युति सूर्यग्रहण के दिन होने के कारण इन ग्रहों का बुरा प्रभाव और अधिक बढ़ जायेगा।

 


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