वास्तु के इन 18 नियमों को अपनाने से हमेशा बनी रहती है घर में सुख-समृद्धि, नहीं लगती खुशियों को किसी की नजर,
घर को बनाते समय यदि आप वास्तु
के नियमों को लेकर असमंजस में हैं या फिर आपको लगता है कि किसी वास्तु दोष के कारण
आपकी खुशियां प्रभावित हो रही हैं तो आपको वास्तु के इन 18 सरल-सहज और प्रभावी उपायों
को जरूर जानना चाहिए।
कई बार हम अपने सपनों का आशियाना
बनाते समय पंचतत्वों पर आधारित वास्तु नियमों की अनदेखी कर देते हैं, जिसके चलते भविष्य
में उस घर में रहने वालों को तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में
घर को बनवाते समय उसकी खूबसूरती को बढ़ाने के साथ-साथ वास्तु नियमों को भी प्राथमिकता
के साथ रखना चाहिए, क्योंकि वास्तु सम्मत घर में सुख-समृद्धि और संपन्नता हमेशा बनी
रहती है और उसकी दिन दुगुनी रात चौगनी प्रगति होती है। वहीं इन नियमों की अनदेखी करने
पर धन की देवी माता लक्ष्मी नाराज होकर उसके घर से रूठ कर चली जाती हैं। आइए जानते हैं वास्तु से जुड़े 18 ऐसे ही सुनहरे
नियम जिसे अपनाने पर घर में रहने वालों की सेहत, सामंजस्य और उनकी खुशियां हमेशा बकररार
रहती हैं।
वास्तु से जुड़े 18 विशेष नियम -
घर का पश्चिमी भाग हमेशा पूर्वी
भाग से ऊँचा होना चाहिए।
घर में नैऋत्य कोण सबसे ऊँचा
और ईशान कोण सबसे नीचा होना चाहिए।
घर का भारी सामान नैऋत्य कोण,
दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।
घर का हल्का सामान, उत्तर पूर्व
व ईशान कोण में रखना चाहिए।
हमेशा सोते समय सिर पूर्व या
दक्षिण की तरफ होना चाहिए।
घर के मुख्य द्वार की चौड़ाई
उसकी ऊँचाई से हमेशा आधी होनी चाहिए।
घर के ब्रह्म स्थान को सदा प्रकाशमय,
खुला, साफ तथा हवादार रखना चाहिए।
घर में आंगन हमेशा घर के उत्तर
या पूर्व में ही बनाना चाहिए।
घर में कुआं, बोरिंग व भूमिगत
टंकी उत्तर, पूर्व या ईशान में बना सकते हैं।
घर में सीढ़ियों के नीचे पूजा
घर, शौचालय व रसोई घर नहीं बनाना चाहिए।
घर की दक्षिण दिशा में मास्टर
बेडरूम, स्टोर रूम, सीढ़ियां व ऊँचे वृक्ष लागए जा सकते है।
घर की पश्चिम दिशा में भोजन कक्ष,
सीढ़ियां, स्टडी रूम, बेडरूम, बाथरूम बनाया जा सकता है।
घर में रुपये-पैसे रखने वाली
आलमारी का मुंह हमेशा उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
वास्तु के अनुसार घर के नैऋत्य
भाग में किरायेदार या अतिथि को नहीं ठहराना चाहिए।
भोजन करते समय सदा पूर्व या उत्तर
की ओर मुख करके ही बैठना चाहिए।
घर में खिड़कियाँ घर के उत्तर
और पूर्व में अधिक तथा दक्षिण और पश्चिम में कम बनानी चाहिए।
पूजा घर में कभी भी बड़ी मूर्तियां
नहीं रखनी चाहिए, मंदिर में हमेशा अंगूठे के बराबर मूर्ति ही रखें।
घर के पूजा घर में कभी भी दो
शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य प्रतिमा, तीन देवी प्रतिमा, दो गोमती चक्र व दो
शालिग्राम नही रखने चाहिए।
घर की चार दीवारी के अन्दर सबसे
अधिक खुला स्थान पूर्व में छोड़ें, उससे कम उत्तर में, उससे कम पश्चिम में, सबसे कम
दक्षिण में छोड़े।
घर के आग्नेय कोण में रसोई घर,
बिजली के मीटर, जेनरेटर, इन्वर्टर व मेन स्विच लगाए जा सकते है।
Comments
Post a Comment