अगर कुंडली में है अंगारक दोष तो यह जानकारी आपके लिए
वैदिक ज्योतिष के अनुसार अंगारक
योग एक अत्यंत कष्टकारी योग है, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु अथवा केतु का
मंगल से किसी भी भाव में संबंध स्थापित हो जाए अर्थात युति सम्बन्ध हो जाये तो ऐसी
कुंडली में अंगारक योग का निर्माण हो जाता है। कुंडली में अंगारक योग के अधिक अशुभ
फल तभी प्राप्त होते हैं जब इस योग का निर्माण करने वाले मंगल, राहु या केतु दोनों
ही अशुभ स्थान में हों। इसके अलावा यदि कुंडली में मंगल तथा राहु-केतु में से कोई भी
शुभ स्थान में है तो जातक के जीवन पर अधिक नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।
इस दोष के प्रभाव से जातक का
स्वभाव आक्रामक, हिंसक तथा नकारात्मक हो जाता है तथा इस योग के प्रभाव में आने वाले
जातकों के अपने भाईयों, मित्रों तथा अन्य रिश्तेदारों के साथ संबंध भी खराब हो जाते
हैं, यदि कुंडली में अंगारक योग ज्यादा ख़राब स्थिति में हो तो ऐसा जातक अपराधी बन जाता
है, तथा उसे अपने अवैध कार्यों के चलते लंबे समय तक जेल अथवा कारावास में भी रहना पड़
सकता है।
राहु और मंगल मिल कर अंगारक योग
बनाते हैं, लाल किताब में इस योग को पागल हाथी
या बिगड़ा शेर का नाम दिया गया है, अगर यह योग किसी की कुंडली में होता है, तो ऐसे
लोगों के जीवन में कई उतार चढ़ाव आते हैं, यह योग अच्छा फल कम और बुरा फल ज्यादा देता
है, ज्योतिष में इस योग को अशुभ माना जाता है।
अंगारक योग राहु और मंगल के एक
साथ होने से बनता है, क्योंकि मंगल अग्नि तत्व का ग्रह है, और राहु में वायु तत्त्व
है जैसे ही दोनों ग्रहों की युति होती है, वायु अग्नि को बढ़ाने का काम करती है, कुंडली
में इस योग के बनने पर जातक क्रोध और निर्णय न कर पाने के असमंजस में फंसा रहता है,
अंगारक योग के कारण क्रोध, अग्निभय, दुर्घटना, रक्त से संबंधित रोग और स्किन की समस्याएं
मुख्य रूप से होती हैं।
अंगारक योग के कारण जातक का स्वभाव
आक्रामक, हिंसक और नकारात्मक हो जाता है तथा इस योग के प्रभाव में जातक के अपने भाईयों,
मित्रों तथा अन्य संबंधियों से अनबन रहती है, अंगारक योग होने से धन की कमी होती है,
इसके प्रभाव में जातक की दुर्घटना की संभावना रहती है, ऐसा व्यक्ति रोगों से ग्रस्त
रहता है एवं उसके शत्रु उस पर जादू का प्रयोग करते हैं, व्यापार और वैवाहिक जीवन पर
भी अंगारक योग का बुरा प्रभाव पड़ता है।
अगर अंगारक योग बन रहा हो तो
सर्वप्रथम तो कुंडली के जिस भी भाव में यह योग बने उस भाव और जिन भावों पर राहु व मंगल
की दृष्टि हो उन भावों को पीड़ित कर देता है और उन भावों से नियंत्रित होने वाले पहलुओं
में संघर्ष बने रहते हैं।
प्रभावित
जातक-
अंगारक योग की पहचान जातक के
व्यवहार से ही की जा सकती है। इसके प्रभाव में जातक अत्यधिक क्रोध करने वाला हिंसक
प्रवृति का होता है।
वह अपना कोई भी निर्णय लेने में
असक्षम होते हैं लेकिन यह जातक न्यायप्रिय होते हैं।
स्वभाव से यह जातक सहयोगी होते
हैं। इस योग के प्रभाव में जातक सरकारी पद पर नियुक्त अथवा प्रशासनिक अभिकर्ता बनता
है।
अंगारक योग, जैसा कि नाम से ही
पता चल रहा है यह अग्नि का कारक है। कुंडली में इस योग के बनने पर जातक क्रोध और निर्णय
न कर पाने के असमंजस में फंसा रहता है। अंगारक योग के कारण क्रोध, अग्निभय, दुर्घटना,
रक्त से संबंधित रोग और स्किन की समस्याएं मुख्य रूप से होती हैं।
अंगारक योग शुभ और अशुभ दोनों
तरह का फल देने वाला होता है। कुंडली में इस योग के बनने पर जातक अपने परिश्रम से नाम
और पैसा कमाता है। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं।
अंगारक
योग के उपाय-
अंगारक योग होने पर रेवडिय़ां,
बताशे पानी में बहाएं, ॐ अंग अंगारकाय नमः का नियमित जाप करें, हनुमान चालीसा का पाठ
करें और प्रत्येक मंगलवार को गाय को गुड़ खिलाएं।
इस योग के प्रभाव को कम करने
के लिए मंगलवार के दिन व्रत करें और मंगल ग्रह के बीज मन्त्र का जाप करें।
भगवान शिव के पुत्र कुमार कार्तिकेय
की आराधना करें।
हनुमान जी की आराधना करने से
इन दोनों ग्रहों के खराब प्रभाव से मुक्ति मिलती है, यह एक उत्तम उपाय है।
मंगल और राहु की शांति के लिए
निर्दिष्ट दान करना लाभकारी होता है।
यदि बहुत ज्यादा समस्या हो तो
उज्जैन के अंगारेश्वर मंदिर में जाकर भात पूजा कराएं तथा प्रतिदिन अंगारक स्त्रोत का
पाठ लाभदायक रहता है।
हनुमान जी की आराधना करने से
ये दोनों ग्रह पीड़ामुक्त होते हैं। यह एक उत्तम उपाय है।
चंद्रमा के रोहिणी नक्षत्र में
देवी लक्ष्मी की पूजा करें।
किसी धार्मिक स्थल जाकर भगवान
की आराधना करें, और चांदी का पेंडेंट धारण करने से लाभ होगा।
घर पर राहु ग्रह की शांति हेतु
पूजा रखें।
किसी धार्मिक स्थल पर जाकर भगवान
की आराधना करें।
गने के रस से भगवन शिव का रुद्राभिषेक
करें।
इस योग के प्रभाव को कम करने
के लिए मंगलवार के दिन व्रत रखने से लाभ होगा।
राहु के बीज मंत्र का उच्चारण
करना लाभकारी होगा।
मंगल और राहु की शांति के लिए
निर्दिष्ट दान करना लाभकारी होता है।
काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं।
जातक को मेडिटेशन से लाभ होगा
एवं किसी भी प्रकार के विवाद से दूर रहें।
सत्संग का आयोजन करें और अपने
गुरु को घर पर बुलाएं।
चांदी का पेंडेंट धारण करने से
लाभ होगा।
रोज़ शाम को घर में दीया जलाएं।
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