जन्मकुंडली के अनुसार जाने डॉक्टर बनने के योग (Doctor yoga in astrology)
प्रत्येक व्यक्ति अपनी पसंद की
जॉव में जाना चाहता है, परन्तु बहुत बार हमारी यह इच्छा अधूरी रह जाती है। ज्योतिष
एक ऐसा शास्त्र है जिसके माध्यम से इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि कौन सा क्षेत्र
हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ है।
प्रत्येक युवक / युवती की यह
अभिलाषा होती है कि वह जो भी कार्य करे वह उसकी रुचि के अनुसार हो, क्योंकि रुचि के
अनुसार कार्य करने में सफलता शतप्रतिशत मिलती है परन्तु कभी ऐसा भी होता है कि अपनी
रुचि वाला क्षेत्र चुन कर भी असफ़लता हाथ लगती है। ऐसा विशेष कर होता है, अतः यह जानना
ज़रूरी हो जाता है कि कौन सा कार्य हमारे अनुकूल होगा जिससे सफलता मिले।
हर व्यक्ति में अलग-अलग क्षमता
होती है लेकिन स्वयं यह तय करना कठिन होता है कि हममें क्या क्षमता है इसलिये कभी-कभी
गलत निर्णय लेने से असफलता हाथ लगती है, परन्तु ज्योतिष एक ऐसा विषय है जिसके द्वारा
उचित व्यवसाय/क्षेत्र चुनने में मार्गदर्शन लिया जा सकता है।
आजकल हाईस्कूल करने के बाद एक
दुविधा यह रहती है कि कौन से विषय चुने जाए जिससे डॉक्टर का व्यवसाय चुनने में सहायता
मिल सके इसके लिये कुंडली के ज्योतिषीय योग हमारी सहायता कर सकते हैं तो आइये इस पर
चर्चा करें कि ज्योतिेष के द्वारा कैसे जाना जाये कि किस क्षेत्र में सफलता मिलेगी।
जातक की जन्मपत्रिका में लग्न,
लग्नेश, दशम भाव, दशमेश इन पर विभिन्न ग्रहों का प्रभाव, जातक को उचित व्यवसाय जैसे
कि डॉक्टर, इंजनियर, टीचर आदि के क्षेत्र का चयन करने में सहयता करता है। ग्रहों का
विभिन्न राशियों में स्थित होना भी व्यवसाय का चयन करने में मदद करता है। यदि चर राशियों
में अधिक ग्रह हों तो जातक को चतुराई, युक्ति निपुणता से सम्बंधित व्यवसाय में सफलता
मिलती है। वह ऐसा व्यवसाय करता है जिसमें निरंतर घूमना पड़ता हो। और यदि स्थिर राशि
में ज्यादा ग्रह होते हैं तो एक स्थान वाला कार्य करता है जिसमे डॉक्टरी मुख्य है तथा
द्विस्वभाव राशि में अधिक ग्रह हों तो जातक अध्यापन आदि कार्य करता है जिसमे एक स्थान
पर भी तथा काम के सिलसिले में आना जाना भी आवश्यक होता है।
मेडिकल फील्ड में सफलता पाने
की चाह रखने वालों के लिए शनि मंगल काफी हेल्पफुल प्लेनेट होते हैं। शनि अंग्रेजी शिक्षा
का कारक है। मंगल मेडिकल शिक्षा और फील्ड में सफलता दिलवाने का कार्य करता है।
डॉक्टर
बनने में ग्रहों की भूमिका -
डॉक्टर बनने की इच्छा रखने वाले
व्यक्तियों की कुण्डली में गुरु विशेष स्थान रखते है। गुरु की कृपा से ही कोई व्यक्ति
किसी अन्य व्यक्ति का उपचार करके उसे स्वस्थ बना सकने की योग्यता प्राप्त कर पाता है।
किसी भी व्यक्ति के एक सफल डॉक्टर बनने के लिए गुरु का प्रभाव लग्न/पंचम/दशम भाव तथा
संबन्धित भावेशों पर होना चाहिए। डॉक्टर बनने में मंगल ग्रह का विशेष रोल होता है।
मंगल साहस, चीड़-फार, ऑपरेशन आदि चीजों का कारक होता है। मंगल अचानक होने वाली घबराहट
से बचाता है और त्वरित निर्णय लेने की शक्ति देता है। सूर्य आत्म-विश्वास व ऊर्जा का
कारक है। जब तक व्यक्ति में आत्म-विश्वास, साहस, टेकनिक व ऊर्जा नहीं होगी, तब तक वह
एक सफल डॉक्टर नहीं बन पायेगा। वहीं डॉक्टरों की कुण्डली में चन्द्रमा का भी विशेष
स्थान होता है, इनकी कुण्डली में चन्द्रमा अन्य प्रोफेशन की कुण्डली के चन्द्रमा से
भिन्न होता है क्योंकि चन्द्र को जडी-बूटी का कारक कहा जाता है व चिकित्सकों की कुण्डली
में चन्द्रमा पर पाप प्रभाव होता है। चन्द्रमा पर पाप प्रभाव होने से डॉक्टर में मरीज
को दर्द से तडपते देखते रहने की पीडा सहन करने की क्षमता होती है।
सबसे मुख्य बात जो ग्रह बच्चे
की कुंडली में शिक्षा, तथा आय के भावों को बताएंगे। आपका बच्चा उसी क्षेत्र विशेष का
स्पेशलिस्ट डॉक्टर बनेगा।
सूर्य-
ओर्थपेडीक,
हार्ट स्पेशलिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट,
चन्द्रमा- मेडिसिन
स्पेशलिस्ट, साइकेट्रिस्ट,
मंगल- सर्जन,
बुध- स्किन
स्पेशलिस्ट (डर्मेटोलॉजिस्ट), ईएनटी स्पेशलिस्ट,
गुरु- न्यूट्रल
path, आयुर्वेदा, कैंसर स्पेशलिस्ट, एंडोक्रिनोलोजिस्ट,
शुक्र- सेक्सोलॉजिस्ट,
नेफ्रोलॉजिस्ट, प्लास्टिक सर्जन,
शनि- डेंटिस्ट,
राहु
केतु- अनेस्थेसिओलॉजिस्ट,
अब मै कुंडली में डॉक्टर बनने
के योगों पर अलग-अलग प्रकाश डालता हूँ,
डॉक्टर
बनने के योग –
यदि सूर्य, मंगल,गुरु शनि एवं
राहु कुंडली में बली हों और इनका दशम , एकादश, द्वितीय व सप्तम भाव से सम्बध हो तो
जातक डॉक्टर बनता है।
दशम भाव में सूर्य-मंगल की युति
जातक को शल्य चिकित्सक बनाती है। चतुर्थेश दशमस्थ हो तो जातक औषधि चिकित्सक होता है।
डॉक्टर बनने के योगों में सूर्य
मुख्य भूमिका निभाता है अतः सूर्य का सम्बध उपर्युक्त भावों से तथा ग्रहों से डॉक्टर
बनने मे मदद करता है।
वृश्चिक राशि दवाओं का प्रतिनिधित्व
करती है, अत: इसका स्वामी मंगल भी ताकतवर होना चाहिए।
पंचम तथा षष्ठ भाव का परस्पर
सम्बध भी जातक को रोग दूर करने की बुद्धि प्रदान करता है।
दशम भाव या दशमेश से मंगल या
केतु का दृष्टि या युति राशि गत सम्बध हो तो जातक शल्य चिकित्सक होता है।
दशम भाव में शनि तथा सूर्य की
युति जातक को दंत चिकित्सक बनाती है।
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