सोने, चांदी लोहे या फिर तांबे में से कौन से पाया में हुआ है आपके बच्चे का जन्म
पाया अर्थात पद का हमारे जीवन
की सफलता और उन्नति से बहुत महत्वपूर्ण संबंध है। जब बच्चे का जन्म होता है। तो लोग
अक्सर ये सवाल करतें हैं कि बच्चे का पाया कौन सा है। आपने कई बार सुना होगा कि बच्चे
के पैर बड़े भाग्यशाली हैं। जब से आया है दिन दुगुनी रात चौगुनी तरक्की हो रही है।
कई बार यह बात उलट भी सुनी होगी। जाने कैसे पैर पड़े हैं घर में। जब से आया है तब से
सब खराब है। घर के बुजुर्ग इस बात को लेकर बहुत उत्सुक होते हैं कि बच्चा कौन से पाए
के साथ पैदा हुआ है। उसकी कुंडली में कौन सा पाया आया है। यानी उसका सोने का पाया है।
चांदी का पाया है या फिर किसी और धातु का वहीं कई लोग पाया का मतलब नहीं समझते, जन्मकुंडली
में पाया क्या होता है, किस पाये का क्या महत्व और क्या अर्थ है। जन्म कुंडली में पाया
कैसे देखा जाता है। ये सभी जानकारी आपको तभी हो सकती है जब आपके पास बच्चे का सही जन्म
समय और जन्म तिथि हो। जन्म कुंडली में चंद्रमा दूसरे, पांचवें या फिर नवें भाव में
स्थित हो तो जातक का चांदी के पाये में जन्म माना जाता है। इस पाये में जन्म लेने वाले
लोगों को काफी भाग्यशाली माना जाता है।
पाया का सम्बन्ध पैर से होता
है, इसे पैर, पाद या पाया कहते हैं। ज्योतिषशास्त्र अनुसार 4 प्रकार के पाये होते हैं।
सोने का पाया, चांदी का पाया, तांबे का पाया और लोहे का पाया। इन्हीं पायों में से
किसी न किसी एक पाये में व्यक्ति का जन्म होता है। कुंडली में लग्न से चंद्रमा जिस
भाव में स्थित होता है उससे पाये का पता चलता है। ज्योतिष शास्त्र में जन्म के वक्त
पैरों को लेकर विशेष वर्णन है। किसी भी जन्म कुंडली में बारह भाव होते हैं जिन्हें
चार भागों में बांटा गया है। प्रत्येक भाग एक पाद या पैर कहलाता है। इन चारों पादों
की धातु के अनुसार विवेचना की जाती है। पाद चार तरह के होते हैं। चाँदी का पैर, तांबे
के पैर, सोने के पैर और लोहे के पैर। चंद्रमा ग्रह कुंडली के जिस भाव में मौजूद होता
है उसे उसी के नाम से जाना जाता है। जानिए कौन सा पाद किस तरह का लाभ देता है।
पाया का प्रकार - : फल
चांदी का पाया : सर्वश्रेष्ठ
तांबे का पाया : श्रेष्ठ
सोने का पाया : सामान्य
लोहे का पाया : अनिष्ट
सोने
का पाया :-
स्वर्ण पाया श्रेष्ठता में तीसरे
नंबर पर आता है। यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा पहले, छठे या ग्यारहवें भाव में स्थित
हो तब जातक का जन्म सोने के पाये में माना जाता है। ये पाया अच्छा नहीं माना गया है।
इस पाये में जन्म लेने वाले व्यक्ति को जीवन भर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
रोगों की चपेट में ये लोग जल्दी आ जाते हैं। सोने का दान इनके लिए अच्छा माना गया है।
उपाय
:-
स्वर्ण अर्थात सोने के पाये में
जन्म लेने वाले व्यक्ति को सोने में हरे रंग के नगीने पिरोकर गले मे पहनने चाहिए, जिससे
आपके जीवन में आहत होने वाले कारण कम होते हैं।
नारियल का दान देते रहना चाहिए,
पिता की आयु की बढोत्तरी के लिये रोजाना सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए,
पराये धन और स्त्री पुरुष से
सम्बन्धो के मामले में बचना चाहिए, धारी वाले कपडे पहनने से भी इस पाये का दोष कम होता
है, हाथ में कलावा बांधने से भी दोष में कमी होती है।
धार्मिक स्थानों में जाना और
माथा टेकते रहने से भी दोष कम होता है।
दोष दूर करने के लिए आप सूर्य
नारायण को जल दें और गायत्री मंत्र का पाठ करें व दान करें। जैसे की सोना, तांबा, लाल
कपड़ा, लाल चन्दन, फूल, मिठाई आदि रविवार के दिन दान करें।
चांदी
का पाया :-
जन्म कुंडली में चंद्रमा दूसरे,
पांचवें या फिर नवें भाव में स्थित हो तो जातक का चांदी के पाये में जन्म माना जाता
है। इस पाये में जन्म लेने वाले लोगों को काफी भाग्यशाली माना जाता है। ये लोग अपने
साथ साथ अपने परिवार वालों के लिए भी लकी होते हैं। इन्हें कम संघर्षों में सफलता हासिल
हो जाती है।
उपाय
:-
चांदी के पाये वाले व्यक्ति को
तीर्थ स्थानों में जाते रहना चाहिये और तीर्थ स्थान के जल को अपने घर में या सोने वाले
कमरे में ऊंचे स्थान पर रखना चाहिये।
माता के अच्छे स्वास्थ्य के लिए
रोजाना शिव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
चांदी के पात्र में पानी या दूध
पीना चाहिये, हरे रंग के कपडो का अधिक प्रयोग करना चाहिये, ठगी चालाकी आदि के कामो
से दूर रहना चाहिये।
चांदी का पाया होने पर आप कुछ
दान भी कर सकते है जैसे कि चांदी, दही, दूध, चावल, चीनी आदि सोमवार के दिन दान करें,
शिवजी के मन्त्र - ॐ नमः शिवाय
का जाप अपने आप या किसी ब्राह्मण से करा सकते है।
तांबे
का पाया :-
यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा
तृतीय, सातवें या दशवें भाव में स्थित हो तो जातक का पाया तांबे का माना जाता है। इस
पाये को शुभ माना गया है। अत: इन पाये में जन्म लेने वाले लोग अपने पिता के लिए काफी
भाग्यशाली होते हैं।
उपाय
:-
यहाँ पर आप कुछ दान भी कर सकते
है जैसे कि तांबे के बर्तन, लाल वस्तु, फल, फूल, मिठाई आदि। आपको तांबे के बर्तन से
पानी पीना शुभ रहेगा और देवी भगवती का पाठ करना शुभ रहेगा। भाइयों की सेवा करने से
और मित्रो का सहयोग करने से भी शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
लोहे
का पाया :-
यदि किसी जन्म कुंडली में चंद्रमा
चौथे, आठवें या 12 वें भाव में स्थित हो तो जातक का पाया लोहे का माना जाता है। इस
पाये को अच्छा नही माना गया है। यदि आपके बच्चे का जन्म लोहे के पाया में हुआ है तो
यह पाया बच्चे तथा बच्चे के परिवार के लिए शुभ नहीं माना जाता है। लोहे के पाँव में
पैदा हुआ बच्चा परिवार के लिए भारी होता है। यही नहीं पिता के लिए बच्चा अनेक प्रकार
के कष्ट और कठिनाइयों को लेकर आता है। परिवार में कोई न कोई अप्रिय घटना होती है। ऐसे
लोग जीवन भर संघर्ष करते रहते हैं। लेकिन ज्योतिष अनुसार इस पाये के उपाय किये जा सकते
हैं।
उपाय
:-
चन्द्रमा के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए इन चीजों का विशेष रूप से दान करें, जैसे-
लोहे का तवा, ताले आदि और बालक के वजन के अनुसार लोहे की वस्तु का दान शनिवार को करें,
जो दूसरे के काम आ सके।
लोहे का छल्ला दाहिने हाथ की
मध्यमा उंगली मे पहनना चाहिए
शनिवार के दिन छाया पात्र का
दान शनि मंदिर में करना चाहिए।
शनि देव के बीज मन्त्रों का जाप
करें।
काली मिर्च का सेवन करना चाहिए।
गरीब व्यक्ति को चमड़े का जूता
दान में देना चाहिए।
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