astrological reasons and remedies for delay in marriage, शादी में देरी होने के ज्योतिषी कारण और उपाय

 


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह और उनकी स्थितियों के कारण शादी में देरी आती है। कुंडली का सप्तम भाव आपके विवाह से संबंधित मुद्दों का कारक होता है। अगर आपके सप्तम भाव की स्थिति या  इसके स्वामी की स्थिति अच्छी नहीं है तो शादी में देरी हो सकती है। नीचे शादी में देरी के कुछ ज्योतिषीय कारण बताए गए हैं।

शादी में देरी के ज्योतिषी कारण-

ज्योतिषीय दृष्टि से जब विवाह योग बनते हैं, तब विवाह टालने से विवाह में बहुत देरी हो जाती है।

जब सूर्य, मंगल या बुध लग्न या लग्न के स्वामी पर दृष्टि डालते हों और गुरु बारहवें भाव में बैठा हो तो व्यक्ति में आध्यात्मिकता अधिक होने से विवाह में देरी होती है।

लग्न (प्रथम) भाव में, सप्तम भाव में और बारहवें भाव में गुरु या शुभ ग्रह योग कारक न हो और चंद्रमा कमजोर हो तो विवाह में बाधाएं आती हैं।

सप्तम भाव में शनि और गुरु हो तो शादी देर होती है।

चंद्र की राशि कर्क से गुरु सप्तम हो तो विवाह में बाधाएं आती हैं।

सप्तम में त्रिक भाव का स्वामी हो, कोई शुभ ग्रह योगकारक नही हो तो विवाह में देरी होती है।

कुंडली के सप्तम भाव में बुध और शुक्र दोनों हो तो विवाह की बातें होती रहती हैं, लेकिन विवाह काफी समय के बाद होता है।

सप्तम भाव से शनि का संबंध।

शुक्र की दुर्बल स्थिति।

विवाह में देरी का कारण आपके सप्तम भाव में राहु-केतु, मंगल या शनि की स्थिति हो सकती है।

यदि सप्तम भाव का स्वामी कमजोर हो।

बृहस्पति के अंश और स्थिति की कमजोरी।

यदि सप्तम भाव में कोई ग्रह न हो।

सप्तम भाव में शनि, मंगल की युति या इनकी दृष्टि होने से भी विवाह में देरी हो सकती है।

जहां तक विवाह की बात की जाए तो शुक्र और बृहस्पति ग्रह बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। बृहस्पति की दशा और स्थिति के कारण जातक की शादी के समय के बारे में गणना की जा सकती है। वहीं शुक्र की दुर्बल स्थिति विवाह में देरी का कारण हो सकती है। यदि शुक्र अच्छी स्थिति में है तो यह शादी अच्छे संयोग तो बनाता ही है साथ ही वैवाहिक जीवन में भी सफलता दिलाता है। 

विवाह में आ रही देरी के लिए ज्योतिषीय उपाय -

ज्योतिष शास्त्र न केवल विवाह में देरी के कारणों के बारे में बताता है बल्कि यह आपको ऐसे उपाय भी देता है जिससे आपकी शादी में आ रही परेशानियां दूर हो सकती है। इसलिए सही दृष्टिकोण यह होगा कि हम जानें कि वह कौन से ग्रह हैं जिनके कारण विवाह में देरी हो रही है। इन पाप ग्रहों का अध्ययन करने के बाद इनसे जुड़े उपाय करके हम समस्या को दूर कर सकते हैं। इन उपायों को करने से जातक की शादी जल्द से जल्द हो सकती है और विवाह से जुड़ी आपकी कई परेशानियां दूर हो सकती हैं।  

मनचाहे वर प्राप्ति या शीघ्र विवाह कि मनोकामना के लिए शिव-पार्वती का पूजन करना चाहिए। इसके लिए जातक को रोजाना शिवलिंग पर कच्चा दूध, बेल पत्र, चावल, कुमकुम आदि अर्पण कर पूजन करना चाहिए।

यदि जातक किसी भी पूर्णिमा पर वट वृक्ष की 108 परिक्रमा लगाता है तो जल्द ही उसकी विवाह संबंधी बाधा दूर होगी।

अगर कोई कन्या या पुरुष शीघ्र विवाह की कामना करता है तो उन्हें गुरुवार को गाय को दो आटे के पेड़े पर थोड़ा हल्दी लगाकर खिलाना चाहिए और इसके साथ ही थोड़ा सा गुड़  व चने की पीली दाल का भोग गाय को लगाना शुभ होता है।

इसके अतिरिक्त गुरुवार को ही वट(बरगद) वृक्ष, पीपल, केले के पेड़ पर जल अर्पित करने से भी विवाह बाधा दूर होती है।

यदि किसी माता पिता की कन्या की शादी में कोई बाधा उत्पन्न हो रही है तो पूजा के लिए पांच नारियल लें और भगवान शिव के आगे ॐ श्री वर प्रदाय श्री नमः मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का आप 5 माला जाप करें। और फिर पांचों नारियल भगवान भोलेनाथ को अर्पित कर दें। ऐसा आपको 5 सोमवार करना है, शीघ्र ही आपकी विवाह बाधा दूर हो जाएगी।

विवाह योग्य लोगों को शीघ्र विवाह के लिये प्रत्येक गुरुवार को नहाने वाले पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करना चाहिए। भोजन में केसर का सेवन करने से विवाह शीघ्र होने की संभावनाएं बनती है।

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