Astrological reasons for love and arranged marriage (लव और अरेंज मैरिज के ज्योतिषीय कारण)

 

आपने अक्सर यह बात सुनी होगी की जोड़ियां आसमानों में बनती हैं। ज्योतिष शास्त्र भी इस बात को सच मानता  है। एक उम्र के बाद हर कोई यह जानने का इच्छुक होता है कि उसकी लव मैरिज होगी या अरेंज मैरिज। ऐसे में ज्योतिष एक ऐसा जरिया है जिसकी मदद से आप जान सकते हैं कि आपका विवाह कैसे होगा, विवाह या जीवन के किसी भी पक्ष से जुड़े प्रश्न का उत्तर आप यहां पा सकते हैं। विवाह का इच्छुक कोई भी व्यक्ति सबसे पहले ज्योतिष से यह सवाल पूछता है कि उनकी शादी कब तक होगी और दूसरा प्रश्न यह होता है कि वह लव मैरिज करेंगे या अरेंज। तो आईए आज हम आपको बताते हैं कि ग्रहों की वह कौन सी स्थितियां हैं जिनके चलते व्यक्ति की लव और अरेंज मैरिज हो सकती है।

कुंडली में अरेंज मैरिज के योग :-

विवाह की इस व्यवस्था में माता-पिता की सहमति से विवाह होता है। वर-वधु माता-पिता की सहमति के बाद एक दूसरे से मिलते हैं, यदि वह एक दूसरे को पसंद करते हैं तो बात आगे बढ़ती है। हमारे समाज में सबसे पहले लड़की का पिता वर का चुनाव करता है। वर का चुनाव उसके स्वास्थ्य, शिक्षा, आमदनी आदि के आधार पर किया जाता है। इसके अलावा वर के माता-पिता की सामाजिक स्थिति भी देखी जाती है। अगर यह सब बातें अनुकूल हैं तो शादी की बात आगे बढ़ाई जाती है।

किसी भी जातक की कुंडली में प्राथमिक रूप से सप्तम भाव, सप्तम भाव के स्वामी, पुरुष जातक के लिए शुक्र और स्त्री जातक के लिए मंगल/बृहस्पति ग्रह का अध्ययन किया जाता है यदि यह सब मजबूत अवस्था में है तो विवाह अवश्य होता है। सप्तम भाव और इसके स्वामी के अलावा द्वितीय भाव और द्वितीय भाव के स्वामी, एकादश भाव और एकादश भाव के स्वामी का अध्ययन भी अवश्य करना चाहिए। अगर सप्तम, द्वितीय और एकादश भाव के स्वामी आपस में संबंध बना रहे हैं तो विवाह सफल होता है। अगर द्वितीय, सप्तम और एकादश भाव के स्वामी सूर्य और चंद्रमा के साथ कोई संबंध बना रहे हैं तो अरेंज मैरिज होगी यानि कि विवाह माता-पिता की सहमति से होगा।

यदि शुक्र ग्रह किसी तरह से चौथे भाव या चौथे भाव के स्वामी, नवम भाव या नवम भाव के स्वामी से संबंध बनाता है तो ऐसी स्थिति में भी अरेंज मैरिज होने की संभावना ज्यादा होती है। यदि शुक्र ग्रह सूर्य और चंद्रमा या किसी शुभ ग्रह से संबंध बनाता है तब भी माता-पिता की सहमति से ही विवाह होता है।

किसी भी स्त्री जातक की कुंडली का अध्ययन करते समय मंगल की मजबूती पर अवश्य ध्यान देना चाहिए। यदि द्वितीय, सप्तम और एकादश भाव के स्वामी मंगल से संबंध बना रहे हैं तो भाई की सहायता से विवाह होने की संभावना होती है। अगर मंगल ग्रह का संबंध बुध से है तो ननिहाल पक्ष के रिश्तेदारों की मदद से और यदि बृहस्पति से है तो घर के किसी वरिष्ठ सदस्य की मदद से शादी हो सकती है।

यदि द्वितीय, सप्तम और एकादश भाव के स्वामी किसी तरह से चतुर्थ भाव से संबंध बना रहे हैं या नवम भाव और इसके स्वामी से संबंध बना रहे हैं तो माता-पिता के द्वारा अरेंज मैरिज होगी। अगर द्वितीय, सप्तम और एकादश भाव के स्वामी शुक्र से संबंधित हैं या कोई शुभ ग्रह शुक्र से संबंध बना रहा है तो अरेंज मैरिज होने की संभावना अधिक होती है। 

कुंडली में लव मैरिज के योग :-

भारत में प्रेम विवाह कोई नई बात नहीं है। हालांकि आज के दौर में लव मैरिज की संख्या में वृद्धि अवश्य हुई है। इसका कारण समाज द्वारा बच्चों को दी गई आजादी है। अब लड़कियां भी लड़कों की ही तरह शिक्षा ग्रहण करती हैं और नौकरी करती हैं। यह आजादी स्त्री और पुरुष को एक दूसरे को जानने और समझने का मौका देती है।

आईए अब जानते हैं कि प्रेम विवाह के लिए कौन से भाव और ग्रह जिम्मेदार हैं।

कुंडली के सभी 12 भावों में से सप्तम भाव को विवाह से संबंधित माना जाता है। इसलिए विवाह की जानकारी प्राप्त करने के लिए सप्तम भाव का अध्ययन किया जाता है। इस भाव को विवाह के साथ-साथ साझेदारी का भाव भी कहा जाता है चाहे वह जीवनसाथी के साथ हो या किसी बिजनेस पार्टनर के साथ। एक पुरुष की कुंडली में शुक्र ग्रह और एक स्त्री की कुंडली में बृहस्पति ग्रह विवाह का कारक माना जाता है।

कुंडली में पंचम भाव को प्रेम और भावनाओं का घर कहा जाता है वहीं सप्तम भाव विवाह का कारक माना जाता है। यदि लव मैरिज की बात की जाए तो इसके लिए पंचम भाव और इसके स्वामी या सप्तम भाव और इसके स्वामी के बीच कोई संबंध अवश्य होना चाहिए।

लव मैरिज की संभावनाओं को जांचने के लिए हमें सप्तम भाव और इसके स्वामी की स्थिति के बारे में जानना होता है-

शुक्र मंगल और चंद्रमा की दृष्टि या सप्तम भाव में इन तीनों ग्रहों की उपस्थिति आपको मनचाहा जीवनसाथी दिलाती है।

यदि सप्तम भाव का स्वामी शुक्र, मंगल या चंद्रमा में से किसी के साथ कोई संबंध बना रहा है तो आपको अपने मनपसंद साथी से शादी करने का अवसर मिलेगा।

यदि सप्तम भाव का स्वामी प्रथम, पंचम या द्वादश भाव में है तो आपकी शादी किसी ऐसे शख्स से हो सकती है जिसे आप लंबे समय से जानते हैं।

इसके बाद हमें शुक्र ग्रह पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है जो प्रेम और रोमांस का प्रतीक है। हम 5 वें, 7 वें, 12 वें घर, राहु, चंद्रमा, मंगल और प्रथम भाव के स्वामी के साथ शुक्र के संबंध का अध्ययन करते हैं।

यदि आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह पहले, पांचवें, सातवें, आठवें, दसवें या बारहवें भाव में है तो आप प्रेम संबंधों में काफी सक्रिय रहते हैं और कुंडली के अन्य ग्रहों की स्थिति के अनुसार आपकी लव मैरिज हो सकती है।

अब हम चंद्र ग्रह का अध्ययन करेंगे क्योंकि यह मन का कारक ग्रह माना जाता है। हमारी सोच हमारे कार्य करने के तरीके का पता इसकी अलग-अलग भाव में स्थिति से पता चलता है।

यदि चंद्रमा पर शुक्र या मंगल की दृष्टि पड़ रही है तो व्यक्ति विपरीत लिंगीयों के प्रति आकर्षित होता है और अपने लवमेट के साथ शादी कर सकता है।

अगर चंद्रमा पंचम, सप्तम या द्वादश भाव में है तो आप अपने पसंद के व्यक्ति से शादी कर सकते हैं।

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