कुंडली में बन रहे हैं ये योग, इंजीनियरिंग फील्ड में मिलेगी सफलता
ग्रामीण क्षेत्रों में खेती से
लेकर शहरों में बनने वाली मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स तक और छोटे से मोबाईल से लेकर बड़ी-बड़ी
गाड़ियों के निर्माण में इंजीनियर्स और इंजीनियरिंग ही आज अपनी प्रधान भूमिका निभा रही
है। अब तो
यह युग पूरी तरह से तकनीक पर आधारित हो गया है इसलिए इंजीनियरिंग का उपयोग हर जगह बड़ी
मात्रा में हो रहा है। इसके साथ ही इंजीनियर्स की डिमांड भी तेजी से बढ़ी है, हालांकि
योग्य और कुशल इंजीनियरों की कमी आज भी बनी हुई है और इस फील्ड में कॉम्पीटिशन भी बहुत
बढ़ गया है। इंजीनियरिंग का क्षेत्र अच्छा और सफलतादायक है या नहीं इसमें ज्योतिष शास्त्र
हमारी सहायता और मार्गदर्शन करता है, क्योंकि ज्योतिषीय दृष्टि में हमारी कुंडली में
बने ग्रह योग ही हमारी प्रतिभा और करियर के क्षेत्र को सुनिश्चित करते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में मंगल और
शनि से इंजीनियरिंग और तकनीकी क्षेत्र के बारे में जानकारी हासिल होती है। शनि को लौह
से जुड़े पदार्थों, मशीनों, औजारों, उपकरणों, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि का प्रतिनिधि ग्रह
माना जाता है। वहीं मंगल विद्युत, अग्नि, इलेक्ट्रिक का प्रतिनिधि ग्रह है और मशीनों
को गति देने का काम करता है। वहीँ निर्माण कार्यों की तकनीक का कारक भी मंगल ग्रह को ही माना गया है, बिजली की मोटर,
विद्युत् तार, विद्युत् तापघर एवं विद्युत् वितरण का सम्बन्ध भी मंगल से जोड़ा जाता
है। इंजीनियरिंग फील्ड में मंगल और शनि दोनों का ही बड़ा प्रभाव होता है। यह कहा जा
सकता है कि इन दोनों ग्रहों से ही इंजीनियरिंग का पूरा क्षेत्र संचालित होता है। यदि
किसी जातक की जन्मकुंडली में शनि और मंगल बलवान, शुभ ग्रहों के साथ और शुभ ग्रहों की
दृष्टि में हो तो व्यक्ति इंजीनियरिंग के क्षेत्र में सफल कॅरियर बना सकता है। इनमें
मैकेनिकल इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स,
सिविल इंजीनियरिंग, विद्युत क्षेत्र और सिविल इंजीनियरिंग आदि प्रमुख हैं। शनि और मंगल
में से तुलनात्मक दृष्टि से जो अधिक बलवान और शुभ स्थिति में हो उससे सम्बंधित क्षेत्र
ही श्रेष्ठ और सफलतादायक होता है।
जन्म पत्रिका में इंजीनियरिंग
योग में मुख्यतः शनि और मंगल ग्रह का मजबूत स्थिति में होना अति आवश्यक है। लेकिन भिन्न-भिन्न
तकनीकि कार्यों में विभिन्न ग्रहों का योगदान भी महत्वपूर्ण हैं जैसे टी. वी., दूर
संचार, कंप्यूटर संबंधी योग्यता हेतु बुध ग्रह का, वस्त्र निर्माण में इंजीनियरिंग
हेतु बृहस्पति, बच्चों के खिलौने, सौंदर्य प्रसाधन आदि के क्षेत्र में दक्षता हेतु
चंद्र व शुक्र का तथा विद्युत विभाग में एक सफल इंजीनियर बनने के लिये ऊर्जा और अग्नि
प्रधान ग्रह सूर्य का शुभ और योगकारक होना अति आवश्यक है। इंजीनियरिंग में दक्षता प्राप्त
करने के लिए इंजीनियरिंग के कारक ग्रहों का लग्न या लग्नेश, चतुर्थ भाव या चतुर्थेश,
सप्तम भाव, सप्तमेश तथा दशम भाव, दशमेश एवं पंचम, पंचमेश और नवम (भाग्य भाव) एवं नवमेश
से शुभ संबंध होना अति आवश्यक है। इन भावों पर इन कारक ग्रहों का जितना अधिक शुभ प्रभाव
होगा, जातक को अपने व्यवसाय में उतनी ही रूचि होगी।
इंजीनियर
बनने के योग -
यदि किसी जातक की कुंडली में
इंजीनियर बनने के दो या दो से अधिक अच्छे योग हों तो जातक इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त
कर तकनीकी क्षेत्र में कैरियर प्राप्त करता है। ज्योतिष में इंजीनियर बनने के निम्नलिखित
योग पाए जाते हैं।
दशम भाव या दशमेश पर मंगल या
शनि का प्रभाव हो तथा पंचम भाव या पंचमेश पर मंगल या शनि का प्रभाव हो। केंद्र या त्रिकोण
में मंगल-शनि की युति या सप्तम दृष्टि संबंध हो तथा नवमेश-दशमेश की युति या दृष्टि
संबंध से धर्मकर्माधिपति योग बन रहा हो। मंगल कर्मेश होकर लाभ भाव में बुध से युति
कर रहा हो। मंगल और पराक्रमेश की युति हो तथा मंगल-शनि का दृष्टि संबंध हो। दशमेश पर
मंगल-शनि एवं लाभेश का शुभ प्रभाव हो। उपर्युक्त योगों में से कोई दो या दो से अधिक
योग चंद्र या नवांश कुंडली में भी हों तो जातक इंजीनियर बनता है।
जन्मकुंडली में मंगल और शनि की
स्थिति के साथ दशम और एकादश भाव का अध्ययन करना भी जरूरी है। क्योंकि दशम भाव आजीविका
का स्थान है और एकादश आय स्थान होता है। इन दोनों घरों में बुध और बृहस्पति जैसे शुभ
ग्रहों की उपस्थिति के साथ शनि-मंगल का शुभ योग हो तो जातक विशेष सफलता अर्जित करता
है।
यदि जन्मकुंडली में शनि स्वराशि
मकर या कुंभ में हो या अपनी उच्च राशि तुला में हो तो इंजीनियरिंग और तकनीकी कार्यों
के लिए सफलताकारक होता है।
दशम स्थान का बलवान शनि जातक
को एक सफल इंजीनियर तो बनाता ही है, ऐसा व्यक्ति विदेशों से धन अर्जित भी करता है।
दशम भाव में बलवान मंगल की उपस्थिति
भी इस फील्ड में सफलता दिलाता है।
मंगल का स्व राशि मेष, वृश्चिक
में होना और शुभ ग्रहों की दृष्टि होने से इलेक्ट्रॉनिक्स, बिल्डिंग निर्माण क्षेत्रों
के लिए शुभ होता है।
शनि यदि चतुर्थ भाव सुख स्थान
में हो तो उसकी दशम भाव पर दृष्टि होने से तकनीकी क्षेत्रों में तरक्कीकारक योग बनाता
है।
शनि तथा मंगल चंद्र के साथ स्थित
हों अथवा उसके द्वारा देखे जा रहे हों, तो जातक के इंजीनियर बनने की संभावना ज्यादा
रहती है।
दशम भाव में चतुर्थेश बुध, शनि
के साथ स्थित हो तथा मंगल से दृष्टि हो तो जातक तकनीकी विशेषज्ञ बनता है।
यदि नवांश कुंडली में दशमेश के
नवांशेश पर शनि का प्रभाव हो तथा भाग्येश भाग्य स्थान को देख रहा हो, तो जातक तकनीकी
क्षेत्र में जुड़ा व्यवसाय प्राप्त करता है।
मेष लग्न में यदि शनि चतुर्थ
भाव में स्थित हो तथा मंगल का प्रभाव भी लग्न एवं दशम भाव पर हो तो जातक इंजीनियर होता
है।
मकर या कुंभ लग्न हो, दशम् या
सप्तम भाव में मंगल स्थित हो तो जातक इंजीनियर होता है।
यदि सूर्य लग्न, चंद्र लग्न एवं
जन्म लग्न एक ही हो तथा उन पर शनि व मंगल का प्रभाव अधिक हो तो जातक एक सफल इंजीनियर
होता है।
यदि चतुर्थ भाव में शनि स्थित
हो और उस पर केतु का प्रभाव हो अथवा चतुर्थ भाव में मंगल एवं केतु की युति हो, शनि
सप्तम भाव में स्थित हो तो जातक इंजीनियर होता है।
शनि, मंगल, राहु तथा केतु का
दशम भाव अथवा दशमेश का इनमें से किसी एक या अधिक ग्रहों का सम्बन्ध युति अथवा भावाधिपत्य
सम्बन्ध जातक को तकनीकी क्षेत्र में आजीविका प्रदान करवाता है।
दशम भाव चूंकि कार्यभाव है अतः
दशम भाव एवं दशमेश का यदि शनि, मंगल, केतु एवं बृहस्पति से संबंध हो तो जातक एक सफल
इंजीनियर होता है।
दशम भाव एवं चतुर्थ भाव में से
किसी एक में शनि व दूसरे में मंगल स्थित हो तथा गुरु का लग्न, चतुर्थ एवं नवम, दशम
किन्हीं दो भावों पर प्रभाव हो तो जातक वस्त्र उद्योग में इंजीनियर होता है।
यदि धनु लग्न हो, दशम भाव में
शनि स्थित हो, लग्न सप्तम एवं दशम भाव में से किन्हीं दो भावों पर मंगल, केतु या सूर्य
की स्थिति, दृष्टि या युति संबंध हो तो जातक सफल विद्युत इंजीनियर होता है।
लग्न में मंगल स्वराशिस्थ हो,
शनि चतुर्थ भावस्थ हो या शनि सूर्य की दशम भाव पर दृष्टि हो तो जातक इंजीनियर होता
है।
यदि कुंडली में चंद्र शनि या
चंद्र मंगल की युति हो तथा चतुर्थ या पंचम भाव पर मंगल, केतु या राहु की युति स्थिति
या दृष्टि प्रभाव हो तो जातक इंजीनियरिंग में दक्षता प्राप्त करता है।
लग्नस्थ बुध पर मंगल या शनि की
दृष्टि हो तथा बृहस्पति द्वितीय भाव में स्थित हो अथवा इन तीनों ग्रहों का किसी भी
रूप में शुभ संबंध बन रहा हो तो जातक कंप्यूटर इंजीनियर होता है तथा उसे मशीनरी एवं
कलपूर्जों आदि से संबंधित अच्छी जानकारी होती है।
राहु-केतु, शनि और बुध यदि शुभ
स्थिति में हों तो जातक को तीक्ष्ण बुद्धि और अच्छी सोच प्रदान करते हैं। यदि दशम भाव
में राहु या केतु स्थित है। दशम भाव पर शनि की दृष्टि हो, बुध शनि की राशि में, या
शनि बुध की युति या बुध पर शनि की दृष्टि का प्रभाव हो तो जातक को कंप्यूटर इंजीनियर
के रूप में अच्छी सफलता प्राप्त होती है।
जन्म पत्रिका में शुक्र-शनि का
कारक योग भी कंप्यूटर इंजीनियरिंग में सफलता दिलाता है। दशम भाव में यदि सूर्य, मंगल,
शनि और बुध ग्रहों से ‘चतुर्ग्रही’ योग बन रहा हो तो व्यक्ति एक सफल इंजीनियर होने
के साथ-साथ खूब धन कमाता है।
नवम भाव (भाग्य भाव) में यदि
धनेश या लाभेश होकर बुध स्थित हो तथा दशम भाव पर मंगल का प्रभाव हो, शुक्र बुध की युति
यदि लग्न में अथवा शुक्र बुध की राशि में स्थित हो तो जातक हार्डवेयर इंजीनियर होता
है।
यदि दशम भाव में सूर्य शनि की
युति हो साथ ही सूर्य धनेश, लाभेश या भाग्येश हो और चतुर्थ एवं पंचम भाव पर सूर्य,
मंगल एवं केतु की स्थिति, युति या दृष्टि प्रभाव हो तो जातक को इंजीनियरिंग के क्षेत्र
में अत्यंत सफलता, ख्याति, प्रसिद्धि एवं सम्मान भी मिलता है।
दशम भाव या दशमेश अथवा चतुर्थ
भाव या चतुर्थेश पर राहु का प्रभाव हो।
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