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Showing posts from December, 2021

करियर के लिहाज से कैसा रहेगा नया साल, इन सात राशि वालों को मिलेगी सौगात “2022 भविष्यवाणी”

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नया साल, नई उमंग, नए सपने, नए रंग लेकर आ रहा है। आइए जानतेहैं साल 2022 आपके जीवन में कितनी खुशियां लेकर आ रहा है। क्या कह रहे हैं नए साल के सितारे जॉव, बिजनेस और फाइनेंस की दृष्टि से,  जो जातक करियर राशिफल की भविष्यवाणियों का पालन करते हैं उन्हें उस अवधि की जानकारी रहती है जब उनका विकास हो सकता है।   और कब उन्हें करियर में बड़े झटके लग सकते हैं। करियर राशिफल 2022 करियर की नई शुरुआत कर रहे जातकों के लिए वर्ष 2022 में करियर की क्या संभावनाएं हैं, इसके बारे में भी जानकारी प्रदान करता है। ग्रहों के गोचर के दौरान अनुकूल ग्रहों की स्थिति के अनुसार आपको करियर में आने वाले अच्छे समय के बारे में पता चलेगा। इसके अलावा आपको यह भी जानकारी मिल जाएगी कि वह कौन सी अवधि है जब आप अपनी किसी योजना को निष्पादित करने का या समय का सही इस्तेमाल करते हुए एक योजना बनाने का सही समय कब है जो आपको पदोन्नति और प्रोत्साहन दिला सकती है। करियर राशिफल 2022 से आपको करियर के लिहाज से अनुकूल और प्रतिकूल ग्रहों का भी अंदाजा होगा। इससे आपको अपनी नौकरी, व्यवसाय या पेशेवर सेवाओं से संबंधित बड़े निर्णय लेने में मदद ...

छाया ग्रह राहु केतु किस तरह फल देते हैं, ज्योतिषीय मंथन

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  राहु और केतु दोनों ही छाया ग्रह हैं राहु की तुलना सर्प से की गई है। राहु को एक सिर और केतु उसके धड़ के रूप में माना जाता है। राहु केतु की अपनी कोई भी राशि नहीं होती राहु केतु जिस जिस राशि में बैठते हैं। उसके स्वामी का स्वरूप धारण कर लेते हैं और जिस ग्रह के साथ बैठते हैं, उसी के अनुसार अपना फल देने लगते हैं। और जिन ग्रहों का इन पर प्रभाव होता है उसी के अनुरूप वैसा फल देना शुरू कर देते हैं। राहु की उच्च राशि मिथुन (Gemini) है और केतु की उच्च राशि धनु (Sagittarius) है परंतु कुछ ज्योतिषी राहु की उच्च राशि वृषभ (Taurus) को मानते हैं और केतु की उच्च राशि वृश्चिक (Scorpio) को मानते हैं। परंतु व्यावहारिक तौर पर राहु को मिथुन राशि में अधिक अच्छे फल देते हुए देखा गया है बजाय की वृषभ राशि के। बुध ग्रह को बुद्धि का कारक माना जाता है और राहु के पास भी मस्तिष्क ( मस्तक ) है राहु भी सिर है राहु के पास भी दिमाग है बुद्धि है जब यह बुध की राशि मिथुन राशि में होता है। तो यह बहुत ही शुभ फल देने लगता है व्यक्ति का मस्तिष्क बहुत ही तेज हो जाता है। ऐसा व्यक्ति काफी शातिर हो जाता है। क्योंकि बुद्ध...

जन्मकुंडली के अनुसार जाने डॉक्टर बनने के योग (Doctor yoga in astrology)

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  प्रत्येक व्यक्ति अपनी पसंद की जॉव में जाना चाहता है, परन्तु बहुत बार हमारी यह इच्छा अधूरी रह जाती है। ज्योतिष एक ऐसा शास्त्र है जिसके माध्यम से इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि कौन सा क्षेत्र हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ है। प्रत्येक युवक / युवती की यह अभिलाषा होती है कि वह जो भी कार्य करे वह उसकी रुचि के अनुसार हो, क्योंकि रुचि के अनुसार कार्य करने में सफलता शतप्रतिशत मिलती है परन्तु कभी ऐसा भी होता है कि अपनी रुचि वाला क्षेत्र चुन कर भी असफ़लता हाथ लगती है। ऐसा विशेष कर होता है, अतः यह जानना ज़रूरी हो जाता है कि कौन सा कार्य हमारे अनुकूल होगा जिससे सफलता मिले।    हर व्यक्ति में अलग-अलग क्षमता होती है लेकिन स्वयं यह तय करना कठिन होता है कि हममें क्या क्षमता है इसलिये कभी-कभी गलत निर्णय लेने से असफलता हाथ लगती है, परन्तु ज्योतिष एक ऐसा विषय है जिसके द्वारा उचित व्यवसाय/क्षेत्र चुनने में मार्गदर्शन लिया जा सकता है। आजकल हाईस्कूल करने के बाद एक दुविधा यह रहती है कि कौन से विषय चुने जाए जिससे डॉक्टर का व्यवसाय चुनने में सहायता मिल सके इसके लिये कुंडली के ज्योतिषीय योग ह...

क्या होता है खरमास, इस दौरान क्यों नहीं किए जाते कोई भी शुभ कार्य?

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  ज्योतिषशास्त्र के अनुसार हर साल मार्गशीर्ष और पौष माह के बीच खरमास लगता है। खरमास लगते ही सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्यों में कुछ समय के लिए पाबंदी लग जाती है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो उस समय से लेकर मकर राशि में प्रवेश करने तक खरमास लग जाता है। खरमास को शुभ नहीं माना जाता है। इस बार खरमास 14 जनवरी तक रहेगा, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे तब जाकर खरमास खत्म होगा। आइए जानते हैं खरमास का हिंदू धर्म में क्यों है इतना महत्व है। क्या होता है खरमास - सूर्य के धनु या मीन राशि में गोचर करने की अवधि को ही खरमास कहते हैं। सूर्यदेव जब भी देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु या मीन पर भ्रमण करते हैं तो उसे प्राणी मात्र के लिए अच्छा नहीं माना जाता और शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं। गुरु सूर्यदेव का गुरु हैं, ऐसे में सूर्यदेव एक महीने तक अपने गुरु की सेवा करते हैं।  खरमास का अर्थ - खरमास में खर का अर्थ 'दुष्ट' होता है और मास का अर्थ महीना होता है, इसे आप 'दुष्टमास' भी कह सकते हैं। इस मास में सूर्य बिलकुल ही क्षीण होकर तेज...

जानिये शरीर के इन अंगों पर मौजूद तिलों का क्या है रहस्य

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  मानव के शरीर पर तिलों का होना किसी न किसी रहस्य की ओर इंगित करता है, ऐसा विद्वान लोगों का मानना है। इतना ही नहीं तिल किस जगह है, इसके भी अलग-अलग मतलब हैं। शरीर के अंगो पर पाए जाने वाले तिल को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं, कुछ लोग तिल को शुभ मानते हैं तो कुछ लोग तिल में अपना चमकता हुआ भाग्य तलाशते हैं।  लेकिन सच्चाई ये है कि हर तिल कुछ कहता है, शरीर पर बहुत से निशान जन्म के साथ ही मौजूद रहते हैं और बहुत से समय के साथ शरीर पर उभरते रहते हैं।    सामुद्रिकशास्त्र में इन सभी निशानों और चिह्नों का महत्व और मतलब बताया गया है, सामुद्रिकशास्त्र के अनुसार शरीर पर मौजूद तिल का अपना महत्व है ।  शरीर के विभिन्न अंगों पर स्थिति के अनुसार यह शुभ और अशुभ परिणाम देते हैं। तिल के अध्ययन से हम शरीर के विभिन्न भागों में बने तिलों के बारे में समझ पाते हैं। कई तिल तो शरीर में जन्मजात होते हैं लेकिन कई तिल ऐसे भी होते हैं जो कि हमारे जीवन काल में उत्पन्न होते हैं और गायब भी हो जाते हैं तथा इनका रंग व आकार भी बदलता रहता है। यह भाग्य में बदलाव का संकेत देते हैं। सामुद्रिकशास्त्र...

राजनीतिक क्षेत्र में सफलता पाने के लिए कुंडली में जरूर देख लें ये ज्योतिषीय योग

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  ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से दशम भाव को राज्य सत्ता का स्थान माना जाता है और इसी स्थान से राजयोग की विशिष्ट जानकारी भी ज्ञात की जा सकती है। “राजनीति” दो शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है, एक ऐसा शासक जिसकी नीतियां व राजनैतिक गतिविधियां इतनी परिपक्व व सुदृढ़ हों, जिसके आधार पर वह अपनी जनता का प्रिय शासक बन सके और अपने कार्यक्षेत्र में सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करता हुआ उन्नति की चरम सीमा पर पहुंचे। राजनीति का मुख्य कारक ग्रह कूटनीतिज्ञ “राहु” है, जो कालसर्प योग के लिये तो जिम्मेदार है ही, साथ ही छलकपट भी करवाता है, इसकी महादशा में कई महापुरूषों जैसे- भूतपूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह आदि को राजनीति में उच्चपद प्राप्त करते देखा गया है। राहु ग्रह कुंडली में बली अर्थात उच्च, मित्रराशि आदि में स्थित होकर केंद्र, त्रिकोण के अलावा 2, 3, 10, 11 भाव में स्थित हो तो प्रबल योग बनता है। यदि राहु शत्रु राशिगत आदि हो तो, त्रिक भाव 6, 8, 12 में स्थित हो तो राजनीति में सफलता नहीं देता है। इसके अलावा ग्रहों का राजा सूर्य, देवगुरु बृहस्पति और मंगल का बली होना भी आवश्यक है। चतुर्थ, ...

जानिए क्या है आपका लकी नंबर और शुभ रंग ?

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    नंबरों के आधार पर अंक ज्योतिष में भविष्यवाणी की जाती है। Numerology का ज्योतिष शास्त्र में विशेष स्थान है। क्योंकि इसके आधार पर आप काफी कुछ जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अक्सर कोई न कोई नंबर ऐसा होता है जिसे हम अपने लिए लकी मानने लगते हैं। अधिकतर लोग अपने बर्थ डेट को अपना लकी नंबर मानते हैं तो कुछ लोग किन्हीं विशेष कारणों से किसी नंबर को भाग्यशाली मानने लगते हैं। Numerology के माध्यम से न केवल अपने स्वभाव की विशेषताओं को जान सकते हैं बल्कि भविष्य का भी अंदाजा लगाया जा सकता है।   लेकिन यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि असल में कैसे निकाला जाता है शुभ अंक, क्या है इसकी प्रक्रिया,  ऐसे निकाले अपना लकी नंबर – जिस दिनांक में आपका जन्म हुआ है उस तारीख को सन सहित आपस में जोड़ लीजिए। वही आपका शुभांक होगा। जैसे 02 जुलाई 1991 को आपस में जोड़ने पर यह परिणाम आएगा। 02-07-1991 2+7+1+9+9+1 = 29 2+9 = 11 1+1=2 18-07-1991 में जन्मे लोगों का लकी नंबर 2 होगा। अंक 1- जिन लोगों का शुभांक 1 होता है ऐसे जातकों के कंधे चौड़े, सिर चौकोर व पंजे मजबूत होते हैं। इनका ...

वास्तु (Vastu) के अनुसार क्या हो मंदिर की दिशा, पूजाघर में किन चीजों का रखें ध्यान

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  हर घर में पूजाघर सबसे अहम स्थान होता है। देवी-देवताओं से जुड़े इस पावन स्थान पर जाते ही सर्वाधिक मन को शांति और सुकून मिलता है। ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग शांत मन और सरल हृदय से होकर गुजरता है। जब भी इंसान व्याकुल होता है तो शांति की तलाश में   ईश्वर की भक्ति का ही सहारा लेता है। प्रत्येक व्यक्ति अपने दिन की शुरुआत पूजा जैसे शुभ काम से करना चाहता है जिससे उसका सारा दिन अच्छे से गुजरे। वहीं पूजा करने से सकारात्मकता का संचार घर में भी होता है। यही वजह है कि घर में हर कोई पूजा घर जरूर बनवाता है जहां वह भगवान की पूजा व प्रार्थना कर सके। वास्तव में पूजा का स्थान घर में उसी स्थान में होना चाहिए जो वास्तु सम्मत हो। परन्तु कई बार अनजाने में अथवा अज्ञानवश पूजा स्थान का चयन गलत दिशा में हो जाता है। परिणामस्वरूप जातक को उस पूजा का सकारात्मक फल नहीं मिल पाता है। घर में कई तरह की परेशानियों का कारण भी घर में गलत दिशा में बना पूजा घर हो सकता है। प्राचीन समय में तो इसके लिए घरों में ही बड़े-बड़े मंदिरों का निर्माण कराया जाता था। परंतु आज के समय शहरों में इतनी ज्यादा भीड़-भाड़ होने की वजह...

अगर कुंडली में है अंगारक दोष तो यह जानकारी आपके लिए

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  वैदिक ज्योतिष के अनुसार अंगारक योग एक अत्यंत कष्टकारी योग है, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु अथवा केतु का मंगल से किसी भी भाव में संबंध स्थापित हो जाए अर्थात युति सम्बन्ध हो जाये तो ऐसी कुंडली में अंगारक योग का निर्माण हो जाता है। कुंडली में अंगारक योग के अधिक अशुभ फल तभी प्राप्त होते हैं जब इस योग का निर्माण करने वाले मंगल, राहु या केतु दोनों ही अशुभ स्थान में हों। इसके अलावा यदि कुंडली में मंगल तथा राहु-केतु में से कोई भी शुभ स्थान में है तो जातक के जीवन पर अधिक नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। इस दोष के प्रभाव से जातक का स्वभाव आक्रामक, हिंसक तथा नकारात्मक हो जाता है तथा इस योग के प्रभाव में आने वाले जातकों के अपने भाईयों, मित्रों तथा अन्य रिश्तेदारों के साथ संबंध भी खराब हो जाते हैं, यदि कुंडली में अंगारक योग ज्यादा ख़राब स्थिति में हो तो ऐसा जातक अपराधी बन जाता है, तथा उसे अपने अवैध कार्यों के चलते लंबे समय तक जेल अथवा कारावास में भी रहना पड़ सकता है। राहु और मंगल मिल कर अंगारक योग बनाते हैं, लाल किताब में इस योग को पागल हाथी या बिगड़ा शेर का नाम दिया गया है, अगर यह योग...